छत्तीसगढ़ के 8 फैक्ट जिन्हें जानकर आप रह जाएंगे हैरान
विनय कुशवाहा
भगवान राम का ननिहाल: प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कौशल के नाम से जाना जाता था. राजधानी रायपुर से 10 किमी दूर चंदखुरी है. ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर भगवान राम की मां कौशल्या का जन्म यहीं हुआ था.लाल चींटी की चटनी: छत्तीसगढ़ के बस्तर में लोग लाल चींटी की चटनी खात हैं, जिसे चापड़ा की चटनी भी कहा जाता है. इसमें प्रोटीन और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में होता है. मिनी तिब्बत: अंबिकापुर से 55 किमी दूर स्थित मैनपाट को ‘मिनी तिब्बत’ कहा जाता है. तिब्बत से निर्वासित तिब्बती नागरिकों को यहां लाकर बसाया गया था. यहां तिब्बती संस्कृति देखने को मिलती है. ये एक हिल स्टेशन है जो खूबसूरत नजारों के लिए जाना जाता है. धान का कटोरा: छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर चावल की खेती की जाती है. यहां करीब 20 हजार किस्म के चावल उगाए जाते हैं. प्रदेशवासियों का मुख्य भोजन भी चावल और उससे बने भोजन हैं. इसी वजह से राज्य को धान का कटोरा कहा जाता है. सीता बेंगरा: बस्तर के पास रामगढ़ में सीता बेंगरा है. इसके बारे में कहा जाता है कि ये दुनिया की सबसे पुरानी नाट्यशाला है. लोगों का मानना है कि महाकवि कालीदास ने मेघदूत की रचना यहीं की थी.बस्तर दशहरा: बस्तर दशहरा देश ही नहीं दुनिया में सबसे लंबे समय तक चलने वाला दशहरा है. ये 75 दिनों तक चलता है. इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. कोसा सिल्क: छत्तीसगढ़ का कोसा सिल्क पूरी दुनिया में फेमस है. इस सिल्क से तरह-तरह के प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं. इसका एक नाम टसर सिल्क भी है. राज्य में इसका उत्पादन कोरबा, जांजगीर-चांपा में होता है. अर्जुन, साल और सजल जैसे पेड़ों से सिल्क का कोकून तैयार किया जाता है. ढोकरा कला: छत्तीसगढ़ की ढोकरा कला, धातु शिल्प और मूर्ति कला के लिए प्रसिद्ध है. इसे वैक्स टेक्नीक से बनाया जाता है. बस्तर संभाग में जनजातियां जैसे गोंड, धुरवा और गड़वा इस कला का उपयोग करके पीतल से कलात्मक सामग्री बनाते हैं.