छत्तीसगढ़ की इस बस्ती में घरों में नहीं हैं दरवाजे, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान
तामेश्वर सिन्हा
इस बस्ती में घरों में नहीं हैं दरवाजे
कांकेर जिले में एक ऐसी बस्ती है, जहां के घरों में दरवाजे नहीं है. यहां नाम मात्र के कपड़े, पर्दे का फर्ज निभाते है.कांकेर से इस बस्ती की दूरी 35 किलोमीटर है. नरहरपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम रिसेवाड़ा के जंगल में पारधी जनजाति परिवार के 10 घर बने है. यहां रहने वालों की संख्या 35 है, लेकिन इनके घरों में कोई दरवाजा नहीं लगा है.पारधी परिवार के लोग बताते है कि उनके किसी भी मकान में दरवाजे नहीं लगे है. वह पर्दे लगाकर रखते है. जरूरत पड़ने पर बांस की जाली बनाकर ढक देते है.उनका कहना है कि जमा पूंजी कुछ है, नहीं तो दरवाजे के काम खत्म हो जाता है. इस बस्ती में रहने वाले सभी लोग एक परिवार की तरह रहते है, एक दूसरे का विश्वास ही हमारा दरवाजा है.इनका समुदाय घमन्तू समुदाय की तरह है. जानकर बताते है कि यह घूमघूम कर शिकार किया करते थे. इसलिए यह किसी एक जगह रह नहीं पाए. इनका मुख्य कार्य बांस के पर्रे, टुकनी व अन्य चीजें बनाना है. इनकी आज तक जाति नहीं बन पाई इसलिए बच्चे भी आगे नहीं पढ़ पाते. सही तरीके से शिक्षित नही होने के कारण आधुनिकता के इस युग मे भी आदिम युग में जीवन जी रहे है.इन्हें बहुत से सरकारी सुविधाएं भी इन्हें नहीं मिल पाती. हालांकि कुछ लोगों के प्रयास से इनमें कुछ के आधार कार्ड, राशन कार्ड बन पाए है.