जीराफूल से लेकर सिल्क साड़ी, ये हैं छत्तीसगढ़ के 6 शानदार GI प्रोडक्ट्स
श्वेक्षा पाठक
अपनी खास जनजातीय संस्कृति, परंपरा और उत्पादों के लिए पहचाने जाने वाले छत्तीसगढ़ को अब जियोग्राफिकल इंडीकेशन टैग (GI) भी मिल चुका है.राज्य में अब तक 6 से ज्यादा हैंडीक्राफ्ट और चावल की किस्मों को जीआई टैग मिल चुका है.जीराफूल चावल: सरगुजा जिले में उगाया जाने वाला यह सुगंधित, छोटे दाने वाला चावल अपनी खुशबू के लिए जाना जाता है.बस्तर आयरन आर्ट : बस्तर के लौह शिल्पकार मिट्टी और धातु का उपयोग करके जीवंत और पारंपरिक कृतियां बनाते हैं.चांपा सिल्क साड़ियां: इन्हें ‘कोसा सिल्क साड़ी’ भी कहा जाता है, जो अपनी शुद्धता और पारंपरिक आदिवासी डिज़ाइनों के लिए जानी जाती हैं.बस्तर लौह शिल्प: यह बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों द्वारा बनाए गए लोहे के हस्तशिल्प हैं, जो जटिल कलात्मकता का प्रदर्शन करते हैं.बस्तर ढोकरा: यह एक पारंपरिक हस्तशिल्प है जो लॉस्ट-वैक्स तकनीक का उपयोग करके बनाया जाता है.नगरी दुबराज चावल: धमतरी जिले के नगरी क्षेत्र में उत्पादित यह एक और सुगंधित चावल की किस्म है, जिसे ‘छत्तीसगढ़ की बासमती’ भी कहा जाता है.