Ganesh Chaturthi 2025: इस गणेश चतुर्थी करें छत्तीसगढ़ के 7 चमत्कारी गणेश मंदिरों के दर्शन, मिलेगा बप्पा का आशीर्वाद
रुचि तिवारी
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध गणेश मंदिर
छत्तीसगढ़ में कई प्रसिद्ध और चमत्कारी गणेश मंदिर हैं, जहां साल भर दूर-दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. जानिए उन मंदिरों के बारे में-ढोलकल गणेश मंदिर, दंतेवाड़ा- 3300 फीट की ऊंचाई पर मौजूद इस मंदिर तक पहुंचने के लिए ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और दुर्गम रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. इस मंदिर का नाम ढोलकल इसलिए पड़ा क्योंकि गणेश भगवान की यह प्रतिमा ढोलक के आकार की है. कहा जाता है कि यहीं पर गणेश जी और भगवान परशुराम का भयंकर युद्ध हुआ था. इस दौरान गणेश भगवान का एक दांत टूट गया था. तभी से गणेश भगवान एकदंत कहलाए.सुमुख गणेश मंदिर, बिलासपुर- गणेश भगवान का यह मंदिर दक्षिण स्वरूप में है. यहां गणेश भगवान की मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है और इस मंदिर को बने हुए लगभग 60 साल हो चुके हैं. इस मंदिर की महत्वपूर्ण बात यह है कि जो मूर्ति यहां विराजमान है, उसे तमिलनाडु से बिलासपुर लाया गया था. यहां पूजा-अर्चना भी दक्षिण भारतीय संस्कृति के अनुसार ही की जाती है. गजानन मंदिर, रायपुर- इस मंदिर में भगवना गणेश के आठों स्वरूप दर्शाए गए हैं. यह दक्षिणमुखी गणेश मंदिर है. इस मंदिर की स्थापना 1970 के दशक के आस-पास हुई थी. इस मंदिर में हर बुधवार को विशेष पूजा होती है और गणेश चतुर्थी के समय यहां भंडारे का भी आयोजन किया जाता है. पहाड़ी गणेश मंदिर, अंबिकापुर- इस मंदिर का नाम पहाड़ी गणेश मंदिर इसलिए पड़ा क्योंकि गणेश भगवान की प्रतिमा पहाड़ी के एक हिस्से में स्वयंभू रूप से उभरी. इस चमत्कार के चलते यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है. लोगों का कहना है कि अंबिकापुर में गजराज का आना-जाना लगा रहता था और गणेश भगवान यहां स्थायी रूप से निवास करते थे.गणेश मंदिर, राजनांदगांव- इस मंदिर की भी अपनी एक अलग मान्यता है. इस मंदिर को बने हुए लगभग 170 साल से ज्यादा हो चुके हैं. यह मंदिर दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगांव में स्थित है. उस समय यह राजा दिग्विजय दास का महल हुआ करता था. यहां दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. वहां मान्यता यह भी है कि लोगों की मनोकामना पूरी हो जाने के बाद वे यहाँ चांदी चढ़ाते हैं.स्वयंभू गणेश प्रतिमा मरारपारा, बलोद- स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में गणेश भगवान की मूर्ति जमीन के अंदर से प्रकट हुई थी. इस मंदिर को बने हुए लगभग 100 साल से अधिक हो चुके हैं. उस मूर्ति पर सबसे पहले सुल्तानमल बाफना की नजर पड़ी. जब यह बात लोगों में फैली तो आस्था की भीड़ उमड़ पड़ीय उसके बाद से यहां सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी लोग दर्शन करने आते हैं. यहां हर दिन करीब 600 लोग मंदिर में भंडारा ग्रहण करते हैं.बारसूर गणेश मंदिर, दंतेवाड़ा- यह मंदिर बारसूर में स्थित है. इसके आस-पास 147 मंदिर हैं, जिससे यह स्थान और भी खास हो जाता है. बारसूर को ‘देवनगरी’ कहा जाता है. पूरे विश्व में गणेश भगवान की यहाँ तीसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है और इसके साथ ही यहां गणेश भगवान की जुड़वा मूर्तियां हैं.