Dussehra 2025: छत्तीसगढ़ में यहां नहीं जलता रावण, वध के बाद नाभि से निकलता है अमृत, जानिए क्या है मान्यता
श्वेक्षा पाठक
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के भूमका और हिर्री गांवों में विजयादशमी पर रावण दहन नहीं होता बल्कि एक अनूठी परंपरा निभाई जाती है.इस सदियों पुरानी परंपरा में रावण की नाभि से ‘अमृत’ निकालने का विधान है. रामलीला के मंचन के बाद रावण वध किया जाता है. यहां दशहरे पर जहां देशभर में रावण के पुतले जलाए जाते हैं, वहीं इन गांवों में मिट्टी का विशाल रावण बनाकर उसका वध किया जाता है.उनके मुताबिक, यह तिलक शुभ फल देने वाला और समृद्धि का प्रतीक है. यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है.इस दौरान रावण की नाभि से एक तरल पदार्थ, जिसे ग्रामीण ‘अमृत’ मानते हैं, निकाला जाता है. ग्रामीण इसे अपने माथे पर तिलक लगाकर स्वयं को पवित्र मानते हैं.