छत्तीसगढ़ को क्यों कहते हैं खनिज की राजधानी? एक नहीं, दो नहीं… 10 से ज्यादा पाए जाते हैं मिनरल्स
रुचि तिवारी
खनिज की राजधानी छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में किरंदुल शहर के पास स्थित बैलाडीला पूरी दुनिया में विख्यात हो चुका है. यहां के लौह अयस्क में 65% से ज्यादा लौह तत्व हैं. यहां पहाड़ों से ही लोह अयस्क का उत्खनन किया जाता है. विशाखापट्टनम और भिलाई का स्टील प्लांट से लोहा न सिर्फ देश बल्कि जापान समेत अलग-अलग देशों में निर्यात किया जाता है. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित गेवरा कोयला खदान न केवल भारत बल्कि पूरे एशिया के लिए एक गौरव का विषय है. यह (SECL) साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड द्वारा संचालित एक विशालकाय परियोजना है, जो इसे एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खदान बनाती है. गेवरा कोयला खदान देश को ऊर्जा प्रदान करती है. इसके अलावा सरगुजा, कोरिया और रायगढ़ में भी कोयले की खदानें हैं. बस्तर और दंतेवाड़ा जिले से छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश में टीन सप्लाई किया जाता है. भारत में टीन केवल छत्तीसगढ़ से ही प्राप्त होता है. यहां की खदानें इसकी प्रमुख स्रोत हैं. छत्तीसगढ़ चूना पत्थर के भंडार से भरा हुआ है. यहां से देश के अधिकतर राज्य में सीमेंट भेजी जाती है. छत्तीसगढ़ के कई जिलों में मुख्य रूप से बिलासपुर, दुर्ग, रायपुर, जांजगीर-चांपा और बलोदा बाजार में सीमेंट का उत्पादन होता है, जो की छत्तीसगढ़ को आर्थिक रूप से मदद भी करता है.छत्तीसगढ़ में बॉक्साइट की मात्रा भी अधिक है. यह भी छत्तीसगढ़ को आर्थिक रूप से मजबूत बनता है. कांकेर, कोरबा और सरगुजा जिले में बॉक्साइट मुख्य रूप से पाया जाता है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में तांबा, मैंगनीज, क्वार्ट्ज, माइका, ग्रेफाइट, सिलिका जैसे खनिज भी पाए जाते हैं, जो यहां की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं. खनिज संसाधनों ने छत्तीसगढ़ को मजबूत बनाया है. यहां के खनिज उद्योगों ने रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ भारत को भी मजबूत किया है.