AFG vs NZ: ग्रेटर नोएडा में अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच खेले जा रहे टेस्ट मैच के दो दिन बीत जाने के बाद भी मैच की एक भी गेंद नहीं फेंकी जा सकी है. गीले आउटफील्ड ने खिलाड़ियों और दर्शकों दोनों को निराश किया है. यह स्थिति आयोजकों की तैयारियों पर भी सवाल उठाती है. पहले दिन बारिश के कारण मैदान में जलभराव हो गया था. लेकिन बारिश के बाद मैदान को खेल के लायक बनाने की जिम्मेदारी पूरी तरह ग्राउंड स्टाफ पर थी. लेकिन आयोजकों ने इस मामले में पर्याप्त तैयारी नहीं की थी. ग्राउंड स्टाफ ने मैदान सुखाने के लिए जुगाड़ के तरीके अपनाए, जैसे खुदाई करना, सूखी मिट्टी का इस्तेमाल करना, और नकली घास लगाने की कोशिश करना. फिर भी मैदान खेल के लिए तैयार नहीं हो सका और खेल को दूसरे दिन भी स्थगित करना पड़ा.
मैदान की दयनीय स्थिति
मिड-ऑन और मिड-विकेट के आसपास की गीली मिट्टी और कीचड़ खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर सकती थी. खेल की स्थिति को लेकर खिलाड़ियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं, क्योंकि इस तरह की परिस्थितियों में चोट लगने का खतरा बना रहता है. ग्राउंड स्टाफ के पास पांच सुपर सॉपर थे, जिनमें से तीन मैनुअल थे और दो ऑटोमैटिक. लेकिन इनका इस्तेमाल भी मैदान को सुखाने के लिए पर्याप्त नहीं था. इतना ही नहीं, मैदान को ढकने के लिए कवर और पंखे भी किराए पर लिए गए थे जो यह दिखाता है कि आयोजकों ने पूरी तैयारी नहीं की थी.
पूरी नहीं थी तैयारियों
यह अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाने वाला एकमात्र टेस्ट मैच था, लेकिन सुविधाओं और तैयारियों की कमी ने इसे एक असफल आयोजन बना दिया है. मैच से पहले न्यूजीलैंड की टीम एक भी अभ्यास सत्र पूरा नहीं कर पाई थी. मैदान को सुखाने के लिए टेबल फैन का उपयोग किया गया. ICC इस मैदान को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए अनफिट मान सकती है.
क्या भविष्य में इस मैदान पर अंतरराष्ट्रीय मैच होंगे?
यह टेस्ट मैच WTC का हिस्सा नहीं है. ग्रेटर नोएडा के इस स्टेडियम ने 2016 में गुलाबी गेंद के दलीप ट्रॉफी मैच की मेजबानी की थी, लेकिन बाद में 2017 में बीसीसीसीआई ने इसे मैच फिक्सिंग के कारण प्रतिबंधित कर दिया था. तब से यहां बीसीसीआई से जुड़ा कोई भी मैच नहीं खेला गया है.
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