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WFI और UWW के बीच टकराव, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संकट में भारतीय कुश्ती का भविष्य

WFI and UWW

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Indian Wrestling: WFI और UWW के बीच गहराते विवाद ने भारतीय कुश्ती के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं. UWW ने भारतीय कुश्ती महासंघ में राजनीतिक हस्तक्षेप खत्म करने की सख्त चेतावनी दी है. अगर यह हस्तक्षेप जारी रहा, तो UWW भारत को निलंबित कर सकता है. ऐसा होने पर भारतीय पहलवानों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने से रोका जा सकता है, जो खिलाड़ियों और देश के लिए बड़ा झटका होगा.

UWW का कड़ा रुख

UWW के अध्यक्ष नेनाद लालोविक ने साफ तौर पर कहा है कि WFI की स्वायत्तता और स्वतंत्रता बरकरार रहनी चाहिए. UWW ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके संविधान और ओलंपिक चार्टर के अनुच्छेद 6.3 के तहत सदस्य महासंघों में किसी भी राजनीतिक या सार्वजनिक हस्तक्षेप की अनुमति नहीं है.

UWW ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर महासंघ की स्वायत्तता को पूरी तरह से बहाल नहीं किया गया, तो भारत को निलंबित किया जा सकता है. इससे पहले, WFI पर खेल मंत्रालय द्वारा निलंबन लगाया गया था, जिसके बाद से महासंघ में अस्थिरता बनी हुई है.

WFI और अदालत के बीच विवाद

WFI के निलंबन के बाद पहलवान सत्यव्रत कादियान ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें WFI के टीम चयन के अधिकारों पर सवाल उठाए गए थे. इस विवाद के चलते भारतीय टीमें लगभग वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लेने से चूक गई थीं. अदालत ने इस मामले में तदर्थ पैनल को बहाल किया, लेकिन भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) ने इसका पालन करने से इनकार कर दिया.

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खिलाड़ियों पर असर

UWW के निलंबन की स्थिति में भारतीय पहलवान ओलंपिक, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसी महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले पाएंगे. यह न केवल खिलाड़ियों के करियर के लिए बड़ा झटका होगा, बल्कि देश के लिए भी एक बड़ी क्षति होगी, क्योंकि भारतीय पहलवान इन प्रतियोगिताओं में हमेशा पदक की उम्मीदें लेकर उतरते हैं.

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