Paralympics 2024: भारत ने हाल ही में हुए पेरिस पैरालंपिक में अपने अभूतपूर्व प्रदर्शन से पूरी दुनिया को चकित कर दिया है. 25 से अधिक पदक जीतकर भारत ने न केवल अपने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़े हैं बल्कि पैरालंपिक खेलों में एक नई इबारत लिख दी है. यह लेख भारत के इस शानदार प्रदर्शन के पीछे के कारणों का गहराई से विश्लेषण करेगा.
पैरालंपिक में भारत का इतिहास
भारत ने लंदन पैरालंपिक 2012 में केवल एक पदक जीता था. इसके बाद रियो 2016 में यह संख्या बढ़कर 4 हो गई. लेकिन टोक्यो पैरालंपिक 2020 में भारत ने 19 पदक जीतकर सभी को चौंका दिया. और अब पेरिस पैरालंपिक में यह संख्या 25 के पार पहुंच गई है. इसी के साथ भारत ने ओलंपिक खेलों में कभी हासिल नहीं किए गए पदकों की संख्या को पैरालंपिक में पार कर लिया है.
यह भी पढ़ें: WTC 2025: पाकिस्तान की करारी हार, भारत की फाइनल में एंट्री लगभग पक्की! जानें सभी टीमों का हाल
पैरालंपिक में उदय के कारण
पैरा-स्पोर्ट्स पर अधिक ध्यान और निवेश: भारत सरकार और पैरालंपिक समिति ने पैरा एथलीटों की पहचान, प्रशिक्षण और सपोर्ट के लिए ठोस कदम उठाए हैं. इसमें विशेष रूप से पैरा-स्पोर्ट्स के लिए बढ़ी हुई फंडिंग, कोचिंग संसाधन और बुनियादी ढांचा शामिल है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम प्रतिस्पर्धा: ओलंपिक की तुलना में पैरालंपिक में भाग लेने वाले बड़े खिलाड़ियों का समूह बहुत छोटा है. इससे भारतीय एथलीटों के लिए क्वालिफाई करना और पदक जीतना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है.
वर्गीकरण प्रणाली : पैरालंपिक वर्गीकरण प्रणाली का उद्देश्य समान स्तर की क्षमता वाले एथलीटों को एक ग्रुप में लाकर निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना है. इससे भारतीय एथलीटों को लाभ हो सकता है.
पैरा-एथलीटों की लगन और दृढ़ता: कई भारतीय पैरालंपिक एथलीटों ने अपने खेल के शीर्ष पर पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों को पार किया है.
बेहतर खेल विज्ञान और कोचिंग: भारत के पैरालंपिक कार्यक्रम को खेल चिकित्सा, प्रशिक्षण तकनीकों और अनुभवी कोचिंग में बढ़ते निवेश से लाभ मिला है.
भारत का पैरालंपिक में भविष्य
भारत निश्चित रूप से पैरालंपिक खेलों में एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रहा है. सरकार और खेल संस्थाओं द्वारा किए जा रहे निवेश और प्रयासों से आने वाले समय में भारतीय पैरा-एथलीट और भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे. हालांकि, अभी भी कई चुनौतियां हैं जिनका सामना करना होगा. जैसे कि, कुछ स्पर्धाओं में भारत के पास अभी भी प्रतिभागी नहीं हैं.