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बिहार में वोटर लिस्ट का ‘रण’, बवाल के बीच चुनाव आयोग ने शुरू किया विशेष अभियान, ऐसे चेक करें अपना नाम

Bihar Voter List

प्रतीकात्मक तस्वीर

Bihar Voter List: अगर आप बिहार के निवासी हैं और आने वाले चुनावों में वोट डालने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए है. चुनाव आयोग ने बिहार में वोटर लिस्ट को एकदम चमकाने के लिए एक बड़ा और खास अभियान शुरू किया है. इसे ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ यानी SIR अभियान नाम दिया गया है. यह 25 जून 2025 से शुरू हो गया है और 26 जुलाई 2025 तक चलेगा. इस दौरान आपके घर पर ही वोट बनवाने वाले अधिकारी पहुंचने वाले हैं.

क्या है यह ‘महा-अभियान’?

सीधे शब्दों में कहें तो, चुनाव आयोग चाहता है कि बिहार की वोटर लिस्ट एकदम सही हो, न कोई छूटे और न कोई गलत नाम उसमें रहे. इस अभियान के तहत, बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर जानकारी जुटा रहे हैं. वे आपको एक खास फॉर्म देंगे, जिसे ‘गणना प्रपत्र’ कहते हैं. इसमें आपको अपनी जानकारी, जैसे आपका नाम, पता, जन्मतिथि और एक नई तस्वीर लगानी होगी.

कैसे करें अपना नाम शामिल या चेक?

घबराइए नहीं, यह प्रक्रिया बेहद आसान है.

आपके इलाके के BLO आपके घर आएंगे और आपको गणना प्रपत्र की दो कॉपी देंगे.

आपको फॉर्म भरना होगा, अपनी सबसे नई फोटो लगानी होगी और अपने जन्म की तारीख व जगह का प्रूफ (जैसे जन्म प्रमाण पत्र या स्कूल रिकॉर्ड) खुद से अटेस्ट करके लगाना होगा.

फॉर्म जमा करते समय BLO से पक्की रसीद (Acknowledgement Receipt) ज़रूर लें. यह आपके रिकॉर्ड के लिए बहुत ज़रूरी है.

ऑनलाइन भी सुविधा

अगर आप चाहें तो चुनाव आयोग की वेबसाइट Voters.eci.gov.in पर जाकर भी अपना EPIC नंबर (पहचान पत्र नंबर) डालकर फॉर्म डाउनलोड कर सकते हैं और उसे भरकर जमा कर सकते हैं. जल्द ही ECINET नाम का एक मोबाइल ऐप भी आने वाला है, जिससे यह काम और भी आसान हो जाएगा. गर आपका मोबाइल नंबर वोटर लिस्ट में दर्ज है, तो आपको SMS के ज़रिए भी इस अभियान की जानकारी मिल रही है.

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कौन हैं इस अभियान के मददगार?

चुनाव आयोग ने इस काम के लिए कमर कस ली है. राज्य में पहले से तैनात BLOs के अलावा, 20,000 से ज़्यादा नए BLOs की नियुक्ति की गई है. इतना ही नहीं, एक लाख से ज़्यादा स्वयंसेवक भी इस अभियान से जुड़े हैं, जो खासकर बुज़ुर्गों, बीमार लोगों, दिव्यांगों और वंचित लोगों की मदद करेंगे. राजनीतिक दल भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, क्योंकि इस अभियान में लाखों बूथ लेवल एजेंट (BLA) भी नियुक्त किए गए हैं.

इस पूरे ‘महा-अभियान’ के बाद बिहार की वोटर लिस्ट की आखिरी लिस्ट 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित की जाएगी.

थोड़ी राजनीति, थोड़ी बहस!

यह अभियान सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसने बिहार की राजनीति में भी गरमाहट ला दी है. कुछ राजनीतिक दल इसे ‘छिपा हुआ NRC’ बता रहे हैं. AIMIM चीफ व हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि निर्वाचन आयोग बिहार में गुप्त तरीके से NRC लागू कर रहा है. उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए अब नागरिकों को दस्तावेज के जरिए साबित करना होगा कि वह कब और कहां पैदा हुए थे. उन्हें यह भी बताना होगा कि उनके मां-पिता कहां पैदा हुए थे.

ओवैसी ने कहा कि सीमांचल के इलाके में बाढ़ की समस्या है. वहां गरीबी बहुत है. लोग बड़ी मुश्किल से दो जून की रोटी जुटा पाते हैं. ऐसें में उनसे यह अपेक्षा करना कि उनके पास कागजात होंगे, यह एक क्रूर मजाक है. निर्वाचन आयोग के इस कदम के चलते बड़ी संख्या में गरीब वोटर लिस्ट से बाहर हो जाएंगे.

तेजस्वी यादव ने क्या कहा?

वहीं तेजस्वी यादव ने भी कई सवाल उठाए हैं. उन्होंने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा, “यह पूरी कवायद NDA की साजिश है. मतदाता सर्वे का मकसद गरीब, वंचित और शोषित वर्ग को वोटर लिस्ट से दूर करना है. उन्होंने कहा कि जब 2003 में मतदाता सूची बनी थी, तो उसे तैयार करने में पूरे 2 साल लगे थे, लेकिन बिहार में चुनाव आयोग यह पूरी प्रक्रिया को 25 दिनों में पूरा करने की बात कर रहा है. यह बात संदेह पैदा करने वाली है.

विपक्ष के आरोपों से इतर चुनाव आयोग ने कहा है कि बिहार में संविधान के दायरे में वोटर लिस्‍ट का गहन पुनरीक्षण अभियान चल रहा है. जिन वोटर्स के नाम 2003 की वोटर लिस्‍ट में पहले से ही दर्ज हैं, उन्‍हें केवल एक फॉर्म भर कर पुष्टि करनी है.

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