Black Box: 12 जून 2025 का दिन इतिहास के पन्नों में ‘काला दिवस’ के नाम से दर्ज होगा. इस दिन अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के लिए एयर इंडिया के विमान ने उड़ान भरी. दोपहर 1.38 बजे एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 (बोइंग 787-8, VT-ANB) उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद मेघानी नगर के पास एक रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस हादसे में 241 यात्रियों समेत कुल 265 लोगों की मौत हो गई. इस हादसे के बाद से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतना भयानक हादसा हुआ कैसे? लेकिन, इस राज का पता ब्लैक बॉक्स के मिलने पर चल पाएगा. एयर इंडिया के मुताबिक, ब्लैक बॉक्स अभी मिला नहीं है.
नहीं मिला ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बॉक्स और कॉकपिट का वॉयस रिकॉर्डर मिलने से अहमदाबाद प्लेन क्रैश का राज खोलेगा. जब भी कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो जांच टीम सबसे पहले इस बॉक्स को ही ढूंढने की कोशिश करती हैं.
क्या होता है ब्लैक बॉक्स?
ब्लैक बॉक्स एक ऐसा बॉक्स है, जो महत्वपूर्ण डाटा को संरक्षित रखता है. यह दो हिस्सों में बंटा होता है और ऑरेंज (नारंगी) रंग का चमकीला बॉक्स होता है. जब कभी विमान क्रैश होता है तो भी यह बॉक्स नष्ट नहीं होता है और न ही आग, पानी आदि से खराब होता है.
दो हिस्सों में होता है ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बॉक्स का पहला हिस्सा FDR यानी फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर होता है. इसमें जब फ्लाइट उड़ान भरती है तो उड़ान के दौरान के हजारों आंकड़े जमा होते रहते हैं. जैसे- विमान की गति, ईंजन की कार्यकुशलता, विमान की दिशा, ईंजन पर नियंत्रण की स्थिति आदि से संबंधित आंकड़े रिकॉर्ड होते हैं. FDR की जांच से इंजन में आने वाली किसी भी खराबी और सिस्टम की ओर से दी गई किसी भी चेतावनी के बारे में पता चल सकता है.
ब्लैक बॉक्स का दूसरा हिस्सा CVR यानी कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर होता है. कॉकपिट में उड़ान के दौरान दोनों पायलटों के बीच होने वाली सारी बातचीत से लेकर ATC से पायलट जो भी बातें करते हैं वह सब कुछ रिकॉर्ड होता है. इसके अलावा CVR में रेडियो संदेश और मैकेनिकल साउंड भी रिकॉर्ड होता है.
राज खुलने में लग सकते हैं कई महीने
विशेषज्ञों के मुताबिक, विमान के ब्लैक बॉक्स को डिकोड करने में कई महीने लग सकते हैं. यानी अहमदाबाद प्लेन क्रैश के कारणों का राज खुलने में भी कई महीनों का समय लग सकता है.
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कैसे डिकोड होता है ब्लैक बॉक्स?
जब विमान के मलबे से ब्लैक बॉक्स के दोनों हिस्से मिल जाते हैं तो विशेषज्ञों की एक टीम फोरेंसिक प्रयोगशाला में इसकी जांच करती है. यह जांच एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो(AAIB) की प्रयोगशाला या किसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी की प्रयोगशाला में होती है. पहले विशेषज्ञ उपकरण की भौतिक स्थिति का आकलन करते हैं. देखा जाता है कि ब्लैक बॉक्स को किसी तरह की क्षति तो नहीं पहुंची है.
अगर ब्लैक बॉक्स को क्षति पहुंची होती है तो उसकी मेमोरी को संरक्षित करने की कोशिश की जाती है. इसके बाद डाटा को रडार और ATC के डाटा से मिलाया जाता है. वहीं, आधुनिक जांच टीम FDR डाटा के आधार पर विमान के प्रक्षेपपथ और सिस्टम की विफलता का एक 3डी कंप्यूटर सिमूलेशन तैयार करती हैं.
