क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट?
बहराइच में भेड़ियों के हमले को लेकर कई एक्सपर्ट ने तर्क दिया है. अनुमान लगाया गया है कि भेड़िया बदला लेने की कोशिश में है. जानकारों का मानना है कि भेड़िये जंगलों के साथ-साथ मानव आवास के आसपास सदियों से रहते आए हैं. वे अपने भोजन के लिए मनुष्यों पर निर्भर हैं, चाहे वह बकरियों और खरगोशों जैसे अपने पालतू जानवरों का शिकार करना हो या मृत जानवरों के शवों को खाना हो. अब सवाल यह है कि बहराइच के भेड़ियों को आदमखोर क्या बनाता है?
एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में संजय पाठक वरिष्ठ वनपाल और दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के पूर्व निदेशक ने कहा, “एक वनपाल के रूप में अपने तीन दशक से अधिक के अनुभव के आधार पर, मेरा मानना है कि भेड़िये सबसे बुद्धिमान जानवरों में से एक हैं और जो चीज उन्हें अन्य मांसाहारियों से अलग और यहां तक कि अधिक भयानक बनाती है. वह है उनका बदला लेने की प्रवृत्ति. यह थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन यह सच है. ”
संजय पाठक ने कहा कि उत्तर प्रदेश के इतिहास में बच्चों पर भेड़ियों के हमलों की दो घटना हुई है. पहला 1990 के दशक के मध्य में और फिर 2003 में. पहली घटना 1996 में प्रतापगढ़ में हुई थी, जहां भेड़ियों ने लगभग 12 बच्चों पर हमला किया था. 2003 में बलरामपुर जिले में भी ऐसी ही घटना हुई थी, जहां भेड़ियों ने किसानों को निशाना बनाया था. कुछ वनवासियों का मानना है कि आवास के नुकसान और मानव मांस के प्रति लगाव ने भेड़ियों को नरभक्षी बना दिया है.
‘ऑपरेशन भेड़िया’ से भी नहीं मिल रही कामयाबी
बहराइच के प्रभागीय वन अधिकारी (DFO) अजीत प्रताप सिंह ने कहा, “भेड़ियों को आम तौर पर मनुष्यों पर हमला करने के लिए नहीं जाना जाता है, भले ही वे सदियों से हमारे साथ एक ही क्षेत्र में सह-अस्तित्व में रहे हों. हालांकि, ये हमले तब हो सकते हैं जब कोई भेड़िया गलती से किसी बच्चे का शिकार कर ले. एक बार जब भेड़िया मानव मांस, विशेष रूप से बच्चे का मांस चख लेता है, तो वह उसके प्रति पसंद विकसित कर सकता है. अजीत प्रताप सिंह आवारा भेड़ियों को पकड़ने के लिए ‘ऑपरेशन भेड़िया’ का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने कहा,”बच्चों का नरम मांस और उनकी कमजोरी उन्हें अन्य जानवरों की तुलना में आसान शिकार बनाती है, जिससे भेड़िया नरभक्षी बन सकता है.
उत्तर प्रदेश में भेड़ियों की संख्या 100 से भी कम है, जबकि पूरे भारत में इनकी संख्या 3,000 के करीब है. भेड़ियों की सबसे अधिक संख्या मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में पाई जाती है. भेड़ियों को भारत के वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में अनुसूची 1 प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जो उन्हें उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान करता है.
वनकर्मियों ने कहा, “भेड़िये झुंड में रहते हैं, जहां नेता माता-पिता होते हैं और केवल वे ही शिकार करते हैं. इसलिए, जब तक हमलावर जोड़े की पहचान नहीं हो जाती और उन्हें पिंजरे में बंद नहीं कर दिया जाता, तब तक हत्याएं बंद नहीं होंगी. एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने कहा, “संभावना यह है कि अब तक पकड़े गए तीन-चार भेड़िये हमलावर नहीं थे.” 29 अगस्त को वन विभाग ने एक हत्यारे भेड़िये को पकड़ने में कामयाबी हासिल की, जिससे पकड़े गए भेड़ियों की कुल संख्या चार हो गई. हालांकि, दो आदमखोर भेड़िये अभी भी शिकार की तलाश में हैं.
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250 कर्मचारी तैनात
यूपी वन विभाग और जिला प्रशासन ने 150 वन अधिकारियों सहित 250 से अधिक कर्मचारियों को तैनात किया है और शेष भेड़ियों को ट्रैक करने के लिए थर्मल ड्रोन कैमरों के तीन सेट का उपयोग करने के अलावा चार जाल लगाए हैं. बहराइच की महसी तहसील के हरदी क्षेत्र के 25-30 गांवों में रहने वाले 50,000 से अधिक लोगों की आदमखोर भेड़ियों ने रातों की नींद हराम कर दी है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक तत्काल परामर्श जारी कर अधिकारियों को सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.