UP News: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में करगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिक के स्मारक स्थल पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया. शहीद के परिजनों का आरोप है कि उन्हें सूचना दिए बगैर ही स्मारक स्थल पर बुलडोजर चलाया गया. इसको लेकर उन्होंने जिलाधिकारी से शिकायत भी की है. वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना को लेकर बीजेपी सरकार को घेरा है.
करगिल शहीद मुनीश कुमार यादव का स्मारक स्थल किशनी क्षेत्र के घुटारा गांव में स्थित है. शहीद मुनीश यादव को मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किया गया था, अब उनके ही स्मारक स्थल की दीवार को बुलडोजर से ढहा दिया गया. करगिल शहीद का स्मारकर स्थल साल 2000 में बनकर तैयार हुआ था. इसका अनावरण पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा तत्कालीन सांसद धर्मेंद्र यादव की मौजूदगी में किया गया था. शहीद मुनीश यादव के परिजनों ने इस मामले को लेकर डीएम अविनाश कृष्ण सिंह से इस मामले की शिकायत की है.
शहीद के परिजनों का ने लेखपाल पर लगाया आरोप
शहीद के परिजनों का आरोप है कि उन्हें सूचना दिए बिना और उनकी गैरमौजूदगी में लेखपाल और राजस्व निरीक्षक ने शहीद स्मारक स्थल पर बुलडोजर चलाकर तोड़ दिया. आरोप ये भी है लेखपाल हर्ष कुमार ने पिछले ही वर्ष शहीद स्मारक की जमीन की नापजोख कर चिह्नित कर दिया था. अब वही लेखपाल खुद के द्वारा की गई नापजोख को गलत बता रहा है. आरोप है कि गांव के कुछ लोगों से साठगांठ कर लेखपाल ने शहीद स्मारक की जगह पर बुलडोजर चलवा कर तुड़वा दिया. जब इस मामले की जानकारी अपर जिलाधिकारी रामजी मिश्र को हुई तो उन्होंने तहसीलदार किशनी के नेतृत्व में एक टीम गठित कर संबंधित लेखपाल के कृत्यों की जांच कर उसकी रिपोर्ट मुख्यालय में प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं.
भाजपा अब शहीदों के स्मारक पर भी बुलडोज़र चलवा रही है। मैनपुरी में कारगिल के वीर शहीद मुनीश यादव के सन् 2000 में बने प्रतिमा स्मारक को मिट्टी में मिलाने का जो दुस्साहस प्रशासन ने शासन के इशारे पर किया है, उससे देश के सैनिकों और देशप्रेमियों के बीच मूक आक्रोश पनप रहा है।
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— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 31, 2024
बीजेपी पर सरकार पर अखिलेश का हमला
वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा अब शहीदों के स्मारक पर भी बुलडोजर चलवा रही है. मैनपुरी में करगिल के वीर शहीद मुनीश यादव के सन् 2000 में बने प्रतिमा स्मारक को मिट्टी में मिलाने का जो दुस्साहस प्रशासन ने शासन के इशारे पर किया है, उससे देश के सैनिकों और देशप्रेमियों के बीच मूक आक्रोश पनप रहा है. देश के मान-सम्मान के लिए जीवन न्योछावर करनेवालों की शहादत का मोल भाजपाई कभी नहीं समझ सकते हैं क्योंकि इतिहास गवाह है कि आजादी के आंदोलन में जो लोग स्वतंत्रता सेनानियों का साथ देने की बजाय औपनिवेशिक शासकों के कान-आंख बनकर रहे, वो भला बलिदान की कीमत क्या जानें.
अखिलेश ने कहा कि भाजपा की सियासत शहीदों में भी भेदभाव करने लगी है. ये नकारात्मक राजनीति का निकृष्टतम रूप है. यदि भाजपा में जरा भी शर्म बची है तो मंडल से लेकर जिले स्तर के सभी बड़े अधिकारियों को तत्काल निलंबित करे और प्रतिमा-स्मारक की ससम्मान पुनर्स्थापना करे. नहीं तो हम सब मिलकर ये कार्य करेंगे. घोर, घोर, घोर निंदनीय!