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Kanwar Yatra: कांवड़ रूट की दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का आदेश, मायावती बोलीं- धर्म विशेष के लोगों का आर्थिक बायकॉट निंदनीय

Kanwar Yatra

मायावती (फाइल फोटो)

Kanwar Yatra 2024: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकार ने कांवड़ यात्रा रूट वाले जिलों में खानपान की दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के आदेश दिए हैं. इसके बाद से देश का सियासी पारा बढ़ गया है. वहीं, इस आदेश को बसपा सुप्रीमो मायावती ने असंवैधानिक करार दिया है.

मायावती ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “यूपी व उत्तराखंड सरकार द्वारा कावंड़ मार्ग के व्यापारियों को अपनी-अपनी दुकानों पर मालिक व स्टाफ का पूरा नाम प्रमुखता से लिखने व मांस बिक्री पर भी रोक का यह चुनावी लाभ हेतु आदेश पूर्णतः असंवैधानिक. धर्म विशेष के लोगों का इस प्रकार से आर्थिक बायकॉट करने का प्रयास अति-निंदनीय.”

हरिद्वार पुलिस ने बताया क्यों लिया गया ये फैसला?

हरिद्वार के SSP पद्मेंद्र डोबाल ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “कांवड़ की तैयारियों के संबंध में जो होटल, ढाबे, रेस्तरां और कांवड़ मार्ग पर जो रेड़ी-पटरी वाले हैं, उन्हें हमारे द्वारा सामान्य निर्देश दिया गया है कि वे अपनी दुकानों पर मालिक का नाम लिखेंगे और ऐसा न करने पर उनके खिलाफ हम कानूनी कार्रवाई करेंगे. कई बार इसके कारण विवाद की स्थिति उतपन्न होती है इसलिए हमारे द्वारा यह निर्णय लिया गया है.”

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NDA में पड़ी फूट!

वहीं, इस फैसले का एनडीए की सहयोगी दल जेडीयू ने भी विरोध किया है. जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि नेमप्लेट लगाने का आदेश   ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के खिलाफ है. उन्होंने कहा, “इससे बड़ी कांवड़ यात्रा बिहार में निकलती है, वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी की जो व्याख्या भारतीय समाज, NDA के बारे में है- ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’, यह आदेश उसके विरुद्ध है. इसपर पुनर्विचार हो तो अच्छा है.”

क्या बोली भाजपा?

भाजपा के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि यह निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है. उन्होंने कहा कि लोगों के बीच आपसी प्रेम और सौहार्द्र बढ़े इस भावना के साथ सरकार ने यह आदेश जारी किया है. शर्मा ने कहा, “दुकान के नीचे लगभग 40-50 प्रतिशत लोग अपने मालिक का नाम लिखते हैं, मैं समझता हूं कि जो संविधान की व्यवस्था है उसमें धार्मिक आस्था का सम्मान और सरंक्षण का जो भाव दिया है उसके अंतर्गत यह एक बेहतर प्रयत्न है. हिंदू और मुसलमान मिलकर चलें, रामलीला में मुसलमान पानी पीलाते हैं तो लोग पीते हैं, ईद में हिंदू लोग उनका स्वागत करते हैं इसमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जो व्रत, त्योहार, कांवड़ यात्रा के कुछ नियम हैं उनका उल्लंघन न हो. इस नीयत से यह निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है.”

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