Hathras Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को सत्संग के बाद हुई भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई. जिसके बाद से ही नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा काफी चर्चाओं में हैं. अब उनको लेकर कई तरह के खुलासे हो रहे हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि बाबा भक्तों से कोई धन या रुपया नहीं लेते थे, लेकिन उनका साम्राज्य कई शहरों में फैला हुआ है. वहीं भक्त बाबा को कई अलग-अलग नामों से जानते थे. नारायण साकार हरि, विश्व हरि, भोले बाबा… लेकिन इनका असली नाम सूरजपाल सिंह जाटव है और उनकी उम्र करीब 58 साल है.
कथावाचक सूरजपाल सिंह जाटव अपने अलग अंदाज को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. जैसे वे कपड़े पहनते हैं और रहते हैं उनको देखकर कोई नहीं कह सकता है कि ये बाबा हैं, और देश के कई राज्यों में हजारों और लाखों में इनके अनुयायी हैं. अब धीरे-धीरे बाबा के रहस्यों से पर्दा उठने लगा है. हाथरस हादसे के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर लिया है. हालांकि, उसमें बाबा का नाम नहीं है. एफआईआर में नाम न होने के बावजूद हादसे के बाद बाबा फरार है और पुलिस तलाश में जुटी हुई है.
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बहादुरनगर में ट्रस्ट के नाम पर 20-23 बीघा जमीन
सूरजपाल सिंह जाटव एटा जिले से अलग हुए कासगंज के पटियाली के बहादुरनगर गांव के निवासी हैं. वैसे बाबा का अब अपने गांव आना-जाना कम रहता है. लेकिन बहादुरनगर बाबा की जन्मस्थली के रूप में मशहूर है, जहां रोजाना लोगों की बड़ी भीड़ पहुंचती है. यहां बाबा का बड़ा साम्राज्य है. बहादुरनगर में बाबा चैरिटेबल ट्रस्ट है, यहां सैकड़ों लोग काम करते हैं. ट्रस्ट के एक सदस्य ने बताया कि बाबा के नाम पर यहां 20-25 बीघा जमीन है, जहां खेती होती है. इसके अलावा ट्रस्ट के लोगों का यहां आने वाले भक्तों को कोई दिक्कत न हो, इस काम को देखते हैं. बहादुरनगर ट्रस्ट में बड़ी संख्या में महिला सेवादार भी हैं. उत्तर प्रदेश के नोएडा में बाबा का आश्रम बताया जा रहा है. इसके अलावा सूबे कई राज्यों में भी बाबा के ठिकाने हैं.
भक्तों से कोई दक्षिणा नहीं लेते बाबा
दिलचस्प ये भी है कि कथित भोले बाबा अपने भक्तों से कोई दान, दक्षिणा या चढ़ावा नहीं लेते हैं. लेकिन इसके बावजूद उनके कई आश्रम स्थापित हो चुके हैं. उत्तर प्रदेश में कई दूसरे स्थानों पर आश्रम स्थापित करने का दावा भी किया जा रहा है. खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में बाबा के कई एकड़ जमीन पर आश्रम हैं, जहां लगातार सत्संग के कार्यक्रम चलते रहते हैं. बाबा के अनुयायियों में सबसे बड़ा वर्ग अनुसूचित जाति-जनजाति और ओबीसी वर्ग का है.
अपनी पूरी संपत्ति कर चके हैं ट्रस्ट के नाम
दरअसल, औलाद नहीं होने की वजह से सूरजपाल सिंह जाटव ने 24 मई 2023 को अपनी सारी संपत्ति नारायण विश्व हरि ट्रस्ट के नाम कर दी थी. भक्तों के मुताबिक जब बाबा भोले अपने अनुयायियों को प्रवचन देते थे तो उनके बगल वाली कुर्सी पर उनकी मामी बैठी होती हैं. हालांकि उनकी मामी कभी प्रवचन नहीं करती हैं. लोग बताते हैं कि बाबा भक्तों की सेवा सेवादार बनकर करते हैं. अपने प्रवचनों में पाखंड का विरोध करते हैं. मानव सेवा को सबसे बड़ा मानने का संदेश देते हैं.
हालांकि, बाबा इंटरनेट पर वह बहुत लोकप्रिय नहीं हैं. इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि बाबा के कार्यक्रम में मोबाइल बैन है, यानी कोई भी भक्त फोटो नहीं खींच सकता है, और न ही वीडियो बना सकता है.