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Gyanvapi में व्यासजी तहखाने मामले पर सुनवाई पूरी, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, फिलहाल पूजा पर रोक नहीं

Gyanvapi Case

ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा

Gyanvapi Vyasji Tehkhana Case: गुरुवार, 15 फरवरी को वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा करने के मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. हालांकि इस दौरान अदालत ने आज फैसला नहीं सुनाया. इस सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. बता दें कि हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने अपना पक्ष रखा, वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी ने बहस की. कोर्ट ने फिलहाल पूजा करने पर नहीं रोक लगाई है.

‘मुसलमान कभी तहखाने में नहीं पढ़ता था नमाज’

गुरुवार, 15 फरवरी को वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा करने के मामले पर हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने बहस की. वैद्यनाथन ने तकरीबन 40 मिनट तक अपना पक्ष रखा. अपने दलील में उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के दाहिने हिस्से में तहखाना स्थित है और वहीं पर हिंदू समुदाय के लोग वर्ष 1993 तक पूजा कर रहे थे. इसके बाद ऑर्डर 40 रूल 1 सीपीसी के तहत वाराणसी कोर्ट ने डीएम को रिसीवर नियुक्त किया और तहखाने में विधिवत पूजा की इजाजत दी. डीएम ने भी कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया. डीएम का यह फैसला किसी तरह से मुस्लिमों के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है क्योंकि मुसलमान कभी तहखाने में नमाज नहीं पढ़ता था.

‘हिंदू पक्ष को अर्जी दाखिल करने का हक नहीं’

इसके बाद मुस्लिम पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी ने बहस शुरूआत की. उन्होंने कहा कि 151, 152 सीपीसी को हिंदू पक्ष ने सही ढंग से नहीं पेश किया है. उन्होंने दलील दी की डीएम को रिसीवर नियुक्त करना वास्तव में विरोधाभास पैदा करना है. उन्होंने ने दलील दी कि जिला जज के आदेश में बहुत बड़ी खामी है. मामले में फैसले के दौरान जिला जज को अपने विवेक का प्रयोग करना चाहिए था. व्यास परिवार ने अपने पूजा का अधिकार को काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया था. इसके बाद उन्हें अर्जी दाखिल करने का कोई हक नहीं था.

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पंडित चंद्रनाथ व्यास के वसीयत दस्तावेज का दिया हवाला

नकवी ने बहस के दौरान कहा कि डीएम पहले से ही काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के पदेन सदस्य हैं. ऐसे में उन्हें रिसीवर कैसे नियुक्त किया जा सकता है. हिंदू पक्ष को उस समय यह मानना चाहिए था कि डीएम ट्रस्टी बोर्ड का एक हिस्सा हैं. जिला जज कुछ चीजों को सुविधाजनक बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने ऐसा आदेश जारी किया. नकवी ने पंडित चंद्रनाथ व्यास के वसीयत दस्तावेज का हवाला देते हुए दावा किया कि दस्तावेजों में किसी भी तहखाने का कोई उल्लेख नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि प्रासंगिक दस्तावेजों में किसी स्थान पर स्थित संपत्ति का सिर्फ सामान्य विवरण दिया गया है.

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