Sambhal Rani ki Baori: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी क्षेत्र से एक एक बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल, शनिवार को इलाके में उत्खनन के दौरान एक विशाल बावड़ी (Stepwell) का पता चला, जो 250 फीट गहरी मानी जा रही है. दावा किया जा रहा है कि पहले इस बावड़ी को ‘रानी की बावड़ी’ के नाम से जाना जाता था. जब राजस्व विभाग की टीम ने खुदाई की तो बावड़ी मिट्टी के ढेर में दबी हुई थी.
पहले हिंदू बहुल था लक्ष्मण गंज
बता दें कि 1857 से पहले लक्ष्मण गंज क्षेत्र हिंदू बहुल था, अब मुस्लिम आबादी का गढ़ बन चुका है. स्थानीय निवासियों के मुताबिक, यहां पहले एक भव्य रानी की बावड़ी हुआ करती थी. जिलाधिकारी (DM) को एक शिकायत पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें कहा गया था कि यह प्राचीन बावड़ी अब मिट्टी से भर चुकी है. इसके बाद, DM ने राजस्व विभाग को इस बावड़ी की खुदाई करने के आदेश दिए.
नायब तहसीलदार धीरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में अधिकारियों ने वहां पहुंचकर क्षेत्र का निरीक्षण किया. खुदाई के बाद एक दो मंजिला संरचना की पहचान हुई, जिसमें बावड़ी का कुआं और तालाब भी दिखाई दिए. यह बावड़ी न केवल विशालकाय है, बल्कि इसके आसपास सुरंगों के होने की भी संभावना जताई जा रही है. अधिकारियों ने बताया कि बावड़ी का यह हिस्सा पहले मिट्टी के ढेर में दबा हुआ था, जिसे अब सावधानी से खोला जा रहा है.
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आगे भी जारी रहेगी खुदाई
आगे की जांच के लिए नक्शे और ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर खुदाई जारी रखने की योजना बनाई गई है. इससे पहले, भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की टीम ने संभल के कल्कि मंदिर में भी एक सर्वेक्षण किया, जहां उन्होंने प्राचीन कृष्ण कूप का निरीक्षण किया और मंदिर के गुंबद का फोटो लिया. एएसआई की टीम ने इसके अलावा लाडम सराय स्थित एक अन्य मंदिर में भी प्राचीन पत्थरों का सर्वे किया.
संभल क्षेत्र में हो रही ये ऐतिहासिक खोजें इस बात को साबित करती हैं कि यह इलाका एक समय में सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत समृद्ध था. हालांकि, हाल के महीनों में संभल में खूब अशांति देखी गई. जामा मस्जिद की सर्वे करने पहुंची टीम पर एक खास समुदाय के लोगों ने हमला कर दिया था. इसके बाद इलाके में जमकर बवाल हुआ. इस हिंसक घटना में 5 लोगों की मौत भी हुई.