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Lok Sabha Election 2024: क्या राहुल की गैरमौजूदगी स्मृति के लिए है बड़ी ‘जीत’, कैसे ईरानी ने कांग्रेस के गढ़ अमेठी में की घेराबंदी?

Lok Sabha Election 2024

स्मृति ईरानी (बीजेपी सांसद)

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली सीट पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया. इन दो सीटों पर काफी सस्पेंस के बीच कांग्रेस ने बड़ा खेल किया. रायबरेली से प्रियंका गांधी के नाम के चर्चा के बीच राहुल गांधी को चुनाव में उतारा गया, वहीं अमेठी से स्मृति के सामने के एल शर्मा को पार्टी ने टिकट देकर उम्मीदवार बनाया. अब अमेठी में गांधी परिवार के सदस्य के बीना कांग्रेस चुनावी मैदान में उतरी है. जिसको लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं.

एक समय ऐसा था की अमेठी को कांग्रेस का मजबूत किला माना जाता था, जिसे भेदने वाला कोई नहीं था. अमेठी की जनता हमेशा ही गांधी परिवार पर विशेष कृपा बनाए रखी. यहीं वह वजह है कि संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और फिर राहुल गांधी को जीता कर जनता ने संसद पहुंचाया. राहुल ने तो 2019 तक ये सीट अपने कब्जे में रखी थी, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराकर कांग्रेस के अभेद किले को भेदने में सफल रही. हालांकि उससे पहले 2014 में उन्हें भी अमेठी में हार का सामना करना पड़ा था.

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अपने ही गढ़ में हार गए राहुल गांधी

आपको बता दें कि स्मृति को 2014 में हार मिली तो उन्होंने खुद को अमेठी की जनता से जोड़ रखा. लोकसभा चुनाव में मिली हार के बावजूद भी वह राहुल गांधी से ज्यादा क्षेत्र में मौजूद रहीं. स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को को हर मोर्चे पर घेरा, हर बार उनकी जवाबदेही तय की. बार-बार नेरेटिव सेट किया, राहुल गांधी ने, गांधी परिवार ने आपके लिए इतने सालों में क्या किया. जनता के मन में भी वो सवाल घर कर गया और 2019 में सबसे बड़ा उलटफेर हुआ. गांधी परिवार से आने वाले राहुल अपने ही गढ़ में हार गए.

खुद की मेहनत से दी राहुल को मात

हमेशा ही इस बात की चर्चा होती रही की मोदी लहर के कारण 2019 में अमेठी में उलटफेर हुआ. लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं है कि स्मृति ईरानी ने चुनाव के दौरान और उससे पहले उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. जनता के साथ बने मजबूत कनेक्ट ने उन्हें अमेठी में लोकप्रिय कर दिया था. इस बार जब अमेठी की जनता से सीधी बात की, ये पहलू प्रमुखता से सामने आया कि स्मृति ईरानी क्षेत्र में राहुल गांधी की तुलना में ज्यादा सक्रिय थीं, ज्यादा बार यहां आई थीं. इसके ऊपर क्योंकि उन्होंने अपना आवास भी वहां बना लिया, इसका असर भी जनता की धारणा पर सीधा पड़ा.

राहुल को था जमीनी हकीकत का अहसास

अब जानकार मानते हैं कि कांग्रेस को भी जमीनी हकीकत का अहसास था. राहुल पिछले पांच सालों में अमेठी में काफी कम दिखे थे, ये एक तथ्य था जिसे नकारा नहीं जा सकता. इसके ऊपर जिस तरह से खुद राहुल ने बार-बार वायनाड को अपना परिवार बताया था, दक्षिण की राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई थी, उसका असर भी अमेठी की जनता पर था. ऐसे में अगर राहुल अमेठी से लड़ते, इन तमाम मुद्दों से उन्हें जूझना पड़ता, जवाब देना पड़ता. ऐसे में कांग्रेस ने अमेठी छोड़ राहुल को रायबरेली से उतार दिया.

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