UP Exit Poll: लोकसभा चुनाव जीतने की चाहत रखने वाले किसी भी पार्टी को यूपी में बेहतर प्रदर्शन करना ही होता है. यहां की 80 सीटों पर जिस भी पार्टी ने बाजी मारी मानो केंद्र में उसी की सरकार. इस बार राज्य में लोकसभा चुनाव के सभी 7 चरणों में मतदान हुआ. अब एग्जिट पोल के नतीजे भी सामने आ गए हैं. तमाम एग्जिट पोल में बीजेपी की बंपर जीत का अनुमान लगाया गया है. वहीं यूपी के दोनों लड़के अखिलेश यादव और राहुल गांधी की रणनीति फेल होती नजर आ रही है.
Exit Poll और Poll of Polls के मुताबिक, बीजेपी और उसके सहयोगी दल उत्तर प्रदेश में 68 सीटें जीतते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन को 12 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. बसपा को शून्य सीटें मिलती हुई दिखाई गई हैं. बीजेपी और उसके सहयोगी 2019 की तुलना में तीन सीटें अधिक जीतते हुए नजर आ रहे हैं.
अब सवाल उठता है कि केंद्र की मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए जिस इंडी अलायंस को बनाया गया. वह यूपी में फेल कैसे हो रहा है? आइये यहां इसी को डिकोड करते हैं. कहते हैं कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी होकर ही गुजरता है, लेकिन यूपी में तो इंडी अलायंस का हाल बेहाल बताया जा रहा है. इसके पीछे तीन कारण हो सकते हैं. पहला- पीडीए पॉलिटिक्स का फेल होना, दूसरा मायावती फैक्टर और तीसरा मोदी मैजिक. पहले बात मायावती फैक्टर की.
मायावती की ‘एकला चलो’ की नीति से गेम खराब
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी ने मिलकर राज्य में चुनाव लड़ा था. उस वक्त इस अलायंस का सबसे ज्यादा फायदा किसी को हुआ तो वो हैं मायावती. मायावती की पार्टी के 10 नेता सांसद बने और दिल्ली पहुंचे. वहीं इस बार मायावती ने ममता ‘दीदी’ की तरह एकला चलो रे की नीति अपना ली और इसका नुकसान भी होता दिख रहा है. एग्जिट पोल के नतीजों में मायावती की पार्टी शून्य पर ही बोल्ड हो रही है. यूपी की राजनीति में मायावती का अच्छा-खासा प्रभाव है. उनकी दलितों मेंअच्छी पकड़ है. साथ ही उनको मुसलमानों के भी वोट मिलते हैं.
चुनाव से पहले खबर आई थी कि मायावती इंडी अलायंस को समर्थन दे सकती है. लेकिन मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया, जिसका नतीजा आज दिख रहा है. एक तरह से मायावती के इस कदम से कहीं न कहीं यूपी में इंडिया अलायंस को खेल बिगड़ता हुआ दिख रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी की ज्यादातर सीटों पर मायावती के कैंडिडेट सपा-कांग्रेस के लिए ‘वोट कटवा’ साबित हो रहे हैं.
PDA पॉलिटिक्स फेल
अगर एग्जिट पोल के नतीजों पर गौर किया जाए तो सपा-कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में गठबंधन मोदी-योगी की जोड़ी के आगे फिका पड़ता दिख रहा है. यूपी के दोनों लड़कों ने राज्य की सभी सीटों पर खूब पसीना बहाया, लेकिन परिणाम बिल्कुल अलग दिखाई दे रहा है. हालांकि, मुलायम परिवार का गढ़ कहे जाने वाले मुस्लिम यादव बाहुल्य सीटें आजमगढ़, गाजीपुर, बदायूं, रामपुर, मुरादाबाद या यादव बेल्ट की फिरोजाबाद, कन्नौज और मैनपुरी सीटों पर ही समाजवादी पार्टी का परचम दिख रहा है. लेकिन जनता मोदी का कोई विकल्प नहीं देख रही.
यूपी समेत देश की राजनीति साधने के लिए अखिलेश यादव ने पीडीए पॉलिटिक्स भी शुरू की. पीडीए यानी पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक राजनीति को बढ़ाते हुए अखिलेश मुलायम सिंह यादव के आजमाए मुस्लिम-यादव यानी माय समीकरण को पीछे छोड़ा. लोकसभा चुनाव में सपा का 5 मुस्लिम और 5 यादव कैंडिडेट उतारने का दांव को इसी रूप में देखा गया था. हालांकि, एग्जिट पोल के मुताबिक इसका कोई फायदा होता हुआ नहीं दिख रहा है. राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक ने जिन जिन योजनाओं की चर्चा करते दिखे, उसे जमीन तक पहुंचा पाने में कामयाब होते नहीं दिख रहे हैं.
मोदी मैजिक
यूपी 80 सीटों पर बीजेपी ने पूरा फोकस किया था. पीएम मोदी खुद प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे थे. पार्टी ने पीएम मोदी की लोकप्रियता पर भरोसा की और उनकी गारंटी और राम मंदिर निर्माण पर जोर दी. जबकि कांग्रेस पर उसके पिछले कार्यकाल के दौरान कथित तुष्टिकरण की राजनीति और भ्रष्टाचार की आलोचना की.
पीएम मोदी यूपी की हर जनसभा से अखिलेश यादव पर हमला बोल रहे थे. बीजेपी के बड़े लीडर्स भी माइक्रो लेवल पर काम कर रहे थे. बूथ मैनेजमेंट के लिए अलग से टीम बनाई गई. सीएम योगी भी पीएम मोदी का बखूबी साथ दे रहे थे. अब तमाम एग्जिट पोलों में यूपी में बीजेपी की बढ़त दिखाई गई है, लिहाजा इसके पीछे मोदी मैजिक का असर है.
चुनावी मैदान में दिग्गज
यूपी से पीएम नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव सहित कई दिग्गज नेता मैदान में हैं. पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में जबरदस्त जीत हासिल की थी और इसी के दम पर पार्टी केंद्र में अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही थी.
डिस्क्लेमर : यह जानना आवश्यक है कि एग्जिट पोल के जरिए केवल सभी लोकसभा सीटों को लेकर अनुमान लगाया गया है, ये अंतिम नतीजे नहीं हैं. लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून को जारी होंगे.