Mangesh Yadav Encounter: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में कथित ‘मुठभेड़’ में मारे गए यादव समुदाय के एक युवक के परिवार ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि पुलिस ने डकैती के मामले में पूछताछ के लिए उनके घर से उसे उठाने के दो दिन बाद उसे गोली मार दी. 5 सितंबर को उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (Special Task Force) विशेष कार्य बल ने मंगेश यादव का एनकाउंटर किया था. इसके बाद से राज्य में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है. विपक्षी दलों ने इसे ‘फर्जी मुठभेड़’ करार दिया है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुलिस पर आरोप लगाया कि मंगेश को केवल उसकी जातिगत पृष्ठभूमि के कारण मार दिया गया है, जबकि डकैती मामले में अन्य समुदायों और प्रमुख जातियों के आरोपियों की जान बख्स दी गई. यादव राज्य में सबसे बड़ा अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय है और इसे सपा की राजनीति का आधार माना जाता है.
PDA को मजबूत करने में जुटे अखिलेश!
अखिलेश यादव इस एनकाउंटर केस के जरिए एक तीर से कई निशाने साध रहे हैं. लोकसभा चुनाव में जीत से उत्साहित अखिलेश अब साल 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में भी अपने पीडीए-प्रयोग के साथ उतरना चाहते हैं. इसकी भूमिका लिखनी उन्होंने अभी से शुरू कर दी है. सुलतानपुर एनकाउंटर को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधना उनकी इसी रणनीति की एक कड़ी है. जिस व्यक्ति का एनकाउंटर हुआ उसका नाम मंगेश यादव है. इसे लेकर अखिलेश ने दावा किया है कि योगी सरकार जाति देखकर एनकाउंटर कर रही है. उन्होंने यह भी कहा कि सपक्षीय लोगों के पैरों पर गोली मारी गई जबकि मंगेश यादव की जान जात देखकर ली गई है. अखिलेश बार-बार जाति पर इसीलिए जोर डाल रहे हैं ताकि योगी सरकार को पीडीए यानी कि पिछड़ा-दलित और अल्पसंख्यक विरोधी घोषित कर सकें. लिहाजा जब मामले में राजनीति तेज हो गई है तो राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अखिलेश यादव एक तीर से कई निशाने लगा रहे हैं.
मंगेश की मां का आरोप
मंगेश की मां शीला देवी ने अपने पैतृक जौनपुर के बक्शा थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर को संबोधित एक शिकायत में कहा, “पुलिस मेरे बेटे को ले गई और उसकी गोली मारकर हत्या कर दी.” अपनी शिकायत में शीला देवी ने आरोप लगाया कि उनके बेटे की पुलिस हिरासत में रहते हुए पुलिसकर्मियों ने हत्या कर दी. पुलिस ने आरोप लगाया कि मंगेश को एक “मुठभेड़” में मार दिया गया.
‘सुरक्षित’ राज्य में दिनदहाड़े लूट
28 अगस्त को पांच अज्ञात व्यक्तियों ने सुल्तानपुर के ठठेरी बाजार इलाके में एक प्रसिद्ध आभूषण की दुकान को बंदूक की नोक पर लूट लिया. पांचों लोग लाखों रुपये के आभूषण लेकर भाग गए. सीसीटीवी में कैद हुई घटना ने आदित्यनाथ सरकार के राज्य में सख्त कानून व्यवस्था चलाने के दावों पर पानी फेर दिया है. 2 और 3 सितंबर की मध्य रात्रि को लगभग 3:40 बजे, पुलिस ने कहा कि उन्होंने सुल्तानपुर के गोदावा क्षेत्र में एक इंटर-कॉलेज के पास कथित “मुठभेड़” में अपराध के तीन आरोपियों को उनके पैरों में गोली मार दी. उनमें से दो को उनके दाहिने पैर में गोली लगी, जबकि तीसरे को उसके बाएं पैर में गोली लगी.
पुलिस ने कहा कि उन्होंने सचिन सिंह, पुष्पेंद्र सिंह और त्रिभुवन कोरी के रूप में पहचाने गए तीन लोगों से कथित तौर पर लूट से 15 किलोग्राम चांदी के आभूषण भी बरामद किए. पुलिस ने कहा कि मुठभेड़ में एक पुलिस कांस्टेबल शैलेश राजभर भी घायल हो गया. पुलिस ने कहा कि .315 बोर की पिस्तौल लिए हुए तीन लोगों ने पुलिस पर जान से मारने की नीयत से गोली चलाई थी. एक अन्य आरोपी विपिन सिंह ने डकैती के एक दिन बाद रायबरेली की एक अदालत में एक अन्य पहले से दर्ज मामले में आत्मसमर्पण कर दिया. सिंह पर पहले से ही कई मामले दर्ज हैं. 4 सितंबर को लखनऊ जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने शेष बचे 10 आरोपियों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया. इनमें जौनपुर का मंगेश यादव भी शामिल था.
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“मंगेश को पुलिस ने घर से उठाया”
5 सितंबर की सुबह यूपी एसटीएफ ने कथित मुठभेड़ में मंगेश को मार गिराया और उसे सुल्तानपुर डकैती मामले का मुख्य आरोपी बताया. मंगेश के परिवार ने पुलिस पर मुठभेड़ की कहानी गढ़ने का आरोप लगाया है. मंगेश के पिता राकेश यादव अपने बेटे की मौत के बाद जौनपुर लौटने पर पत्रकारों को बताया कि 3 सितंबर को रात करीब 2 बजे सादी वर्दी में पुलिसकर्मियों ने उनके बेटे को अगरौरा गांव स्थित उनके घर से उठाया.
राकेश यादव ने कहा, “उन्होंने उसे दो दिन तक हिरासत में रखा. उसके कोई भी अभिभावक पुलिस के पास नहीं गए. जब उन्होंने उसे लावारिस पाया तो उन्होंने उसे गोली मार दी.” जब मंगेश को कथित तौर पर पुलिस ने उठाया, तब उसकी मां शीला देवी घर पर ही थी. उन्होंने आरोप लगाया कि 3 सितंबर को रात करीब 2 बजे चार-पांच पुलिसकर्मियों ने उसके दरवाजे पर दस्तक दी. पुलिसकर्मियों ने मंगेश को नींद से जगाया और उसे ले गए, उसने आरोप लगाया. शीला देवी ने दावा किया कि पुलिस ने उनसे कहा कि वे उसे पूछताछ के लिए ले जा रहे हैं और उसके बाद उसे छोड़ देंगे. शीला देवी ने आगे आरोप लगाया कि 3 और 4 सितंबर को पुलिस की टीमें उसके घर आईं और उसे बताया कि पूछताछ अभी भी जारी है और पूछताछ पूरी होने के बाद मंगेश को छोड़ दिया जाएगा. संयोग से यह 4 सितंबर की ही बात है, जब पुलिस ने मंगेश के सिर पर इनाम घोषित किया था.
‘यादवों को निशाना बनाना’
पूर्व यूपी सीएम अखिलेश यादव मंगेश की हत्या को लेकर आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा. अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘फर्जी मुठभेड़ रक्षक को भक्षक बना देती है. इसका समाधान फर्जी मुठभेड़ नहीं बल्कि वास्तविक कानून व्यवस्था है.’’ मंगेश की हत्या के बाद डीएसपी शाही द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के अनुसार, मुठभेड़ 5 सितंबर को सुबह 3:15 बजे शुरू हुई थी. एसटीएफ की टीम में डीएसपी शाही और विमल कुमार सिंह, इंस्पेक्टर राघवेंद्र सिंह और महावीर सिंह, सब-इंस्पेक्टर अतुल चतुर्वेदी और प्रदीप सिंह, हेड कांस्टेबल नीरज पांडे, सुशील सिंह और राम निवास शुक्ला और कांस्टेबल अमित त्रिपाठी और अमर श्रीवास्तव शामिल थे.
‘संयमित और नियंत्रित फायरिंग’
एसटीएफ ने बताया कि मुखबिर से संदिग्ध की हरकत के बारे में सूचना मिलने के बाद उन्होंने सुल्तानपुर के कोतवाली देहात इलाके में चेकपोस्ट बनाया. एसटीएफ ने बताया कि टॉर्च की रोशनी में उन्होंने सुल्तानपुर से बाईपास की ओर जा रही एक मोटरसाइकिल देखी. पुलिस को देखकर बाइक की गति धीमी हो गई और पीछे बैठे व्यक्ति ने एसटीएफ टीम पर फायरिंग शुरू कर दी. एसटीएफ टीम झाड़ियों में छिप गई.
एसटीएफ ने बताया कि संदिग्धों ने अपनी बाइक मोड़ ली और निर्माणाधीन रेलवे पुल की ओर भागने लगे. पुलिस ने पीछा किया और मिशीरपुर पुरैना गांव के पास खुद को घिरा पाकर बाइक पर भाग रहे संदिग्धों ने कच्ची सड़क की ओर रुख कर लिया. एसटीएफ ने बताया कि बाइक फिसल गई और उनका नियंत्रण खत्म हो गया. एसटीएफ ने आरोप लगाया कि पैदल जा रहे दो संदिग्धों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग की. एसटीएफ ने दावा किया कि उन्होंने दोनों संदिग्धों को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, लेकिन संदिग्धों ने फायरिंग जारी रखी.
एसटीएफ ने कहा कि उसके अधिकारियों ने संयमित और नियंत्रित गोलीबारी की और संदिग्धों को गिरफ्तार करने के इरादे से फायरिंग रेंज में आगे बढ़ गए. पुलिस के अनुसार, मंगेश घटनास्थल पर बुरी तरह घायल पाया गया और उसे अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया.
कई मामले लेकिन मौजूदा डकैती में कोई भूमिका नहीं
28 अगस्त की डकैती के मामले से पहले मंगेश पर आठ आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें से अधिकांश छोटी-मोटी चोरी से जुड़े थे. 2021 में उसके खिलाफ सुल्तानपुर के करौंदी कला थाने में बाइक चोरी और मोबाइल फोन चोरी के दो मामले दर्ज किए गए थे. बाइक चोरी की एफआईआर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज की गई थी. 2022 में मंगेश के खिलाफ जौनपुर के लाइन बाजार थाने में बाइक चोरी और चोरी के वाहन को बेचने के प्रयास के तीन और मामले दर्ज किए गए. उसी वर्ष, प्रतापगढ़ जिले के पट्टी थाने में उसके खिलाफ बाइक चोरी का एक और मामला दर्ज किया गया था. उस मामले में भी अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.
इन अपराधों के आधार पर पुलिस ने 2022 में मंगेश पर कड़े गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया. संयोग से 28 अगस्त को जब सुल्तानपुर की आभूषण की दुकान में लूट हुई, तो पड़ोसी जौनपुर में मंगेश के खिलाफ बाइक चोरी के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई. पुलिस ने आरोप लगाया कि चोरी में उसी बाइक का इस्तेमाल किया गया. मंगेश के परिवार ने दावा किया है कि सुल्तानपुर डकैती में उसकी कोई भूमिका नहीं थी.
6 सितंबर को यूपी विधान परिषद में विपक्ष के सपा नेता लाल बिहारी यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल मंगेश यादव के घर गया और उनके परिवार से मुलाकात की. नेता ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार पुलिस के जरिए यादवों और मुसलमानों को निशाना बना रही है. सपा नेता ने कहा,”एक मिनट के लिए भी हम मान लें कि उसने दो-तीन छोटे-मोटे अपराध किए हैं, क्या इससे किसी को किसी और को मारने का अधिकार मिल जाता है? यह कानून को अपने हाथ में लेना है. अगर उसके खिलाफ लूट और चोरी के मामले होते, तो वे इसे अदालत में ले जा सकते थे.”
इस घटना ने राज्य में जातिगत राजनीति को गर्म कर दिया है, क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब विपक्ष ने पुलिस पर कथित “मुठभेड़” में यादव लोगों को गोली मारने का आरोप लगाया है. कई मामलों में “मुठभेड़” की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए गए हैं. इससे पहले 2022 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने झांसी में पुलिस को एक व्यक्ति पुष्पेंद्र यादव की विधवा द्वारा आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया, जिसे 2019 में कथित तौर पर “फर्जी मुठभेड़” में मार दिया गया था.