UP Poster War: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से पोस्टर वॉर ने धूम मचाई है. लखनऊ में समाजवादी पार्टी के कार्यालय के बाहर लगाए गए नए होर्डिंग्स ने राजनीतिक चर्चाओं को गरमा दिया है. इस बार सपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक नारे का जवाब दिया है, जो उन्होंने हाल ही में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों के संदर्भ में दिया था. योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में कहा था, “बंटेंगे तो कटेंगे, एकजुट रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे.”
सपा ने इस नारे का प्रभावी तरीके से पलटवार करते हुए एक होर्डिंग लगवाया है, जिसमें लिखा है, “मठाधीश बांटेंगे और काटेंगे… पीडीए जोड़ेगी और जीतेगी.” यह होर्डिंग सपा नेता अमित चौबे की ओर से लगाया गया है, जो महराजगंज जिले की फरेंदा सीट से चुनावी दावेदारी कर रहे हैं. इस होर्डिंग के माध्यम से सपा ने बीजेपी पर सीधा हमला किया है, यह दर्शाते हुए कि पार्टी अपने विचारधारा और चुनावी रणनीति को मजबूत बनाए रखने में सक्षम है.
पिछले पोस्टरों का संदर्भ
यह पहला मौका नहीं है जब सपा ने योगी के नारे का विरोध किया है. इससे पहले भी सपा कार्यालय के बाहर पोस्टर लगाए गए थे, जिसमें लिखा गया था, “न कटेंगे, न बंटेंगे, पीडीए के संग रहेंगे.” इस तरह के पोस्टर न केवल सपा की रणनीति का हिस्सा हैं, बल्कि ये राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को भी उजागर करते हैं.
इसके अलावा, एक अन्य पोस्टर में अखिलेश यादव को “सत्ताईस का सत्ताधीश” बताया गया था. इस पोस्टर को संत कबीर नगर के सपा नेता जयराम पांडे ने लगाया था. इस प्रकार के पोस्टर राजनीतिक संदेश देने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हो जाते हैं, जिससे पार्टी की छवि और प्रभाव बढ़ता है.
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निषाद पार्टी की भूमिका
निषाद पार्टी ने भी इस राजनीतिक माहौल में सक्रियता दिखाई है. उन्होंने सपा और बीजेपी के खिलाफ अपने पोस्टर लगाए हैं, जिसमें लिखा गया है, “सत्ताईस का नारा, निषाद है सहारा.” इससे पार्टी ने अपनी पहचान और वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास किया है. निषाद पार्टी की ओर से यह दिखाने की कोशिश की गई है कि वे भी राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
राजनीतिक माहौल
यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश की राजनीति में गहराते हुए तनाव और प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है. पोस्टर वॉर के जरिए पार्टियां अपने विचारों और विचारधाराओं को व्यक्त करने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर रही हैं. राजनीतिक अभियान का यह तरीका एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है, जिससे मतदाता और समर्थक सीधे तौर पर जुड़ते हैं.