UP Student Protest: उत्तर प्रदेश में हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं. हालांकि चार दिनों के आंदोलन के बाद योगी सरकार छात्रों के सामने झुक गई. लेकिन छात्रों का आंदोलन अब भी जारी है. उनका कहना है कि यह उनकी अधूरी जीत है. पूरी जीत मिलनी अभी बाकी है. उत्तर प्रदेश में यह पहला या दूसरा मौका नहीं है जब छात्र परीक्षा की तैयारी छोड़ सड़कों पर आंदोलन करने उतरे हैं. इससे पहले भी प्रदेश में हजारों की संख्या में छात्रों का आंदोलन देखने को मिला. जिसमें सरकार को उनके सामने झुकना पड़ा है.
UPPSC और RO/ARO के लगभग 10 हजार छात्र पिछले 5 दिनों से प्रयागराज में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन के चौथे दिन जब पुलिस प्रदर्शन कर रहे छात्रों को जबरदस्ती उठाने पहुंची तो प्रॉडेस्ट कर रहे स्टूडेंट्स गरमा गए. देखते ही देखते कुछ ही देर में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के बाहर 10 हजार की संख्या में छात्र इकट्ठा हो गए.
पुलिस ने आयोग के बाहर बैरिकेडिंग लगाई, लेकिन गरमाए छात्रों ने उसे कुछ ही पल में तोड़ दिया. स्टूडेंट्स का आक्रोश देख पुलिस भी साइड हो गई. आनन् फानन में जिले के आलाधिकारी आयोग बिल्डिंग के बाहर पहुंचे. पुलिस की टीम ने लोक सेवा आयोग केखिड़की दरवाजो को बंद करवा कर उसे घेर लिया.
फिर क्या था कुछ ही देर में सरकार और आयोग को छात्रों की बात माननी पड़ी. सीएम योगी के संज्ञान के बाद आयोग के सचिव अशोक कुमार ने छात्रों से बात की और एक दिन और एक शिफ्ट में UPPSC परीक्षा की मांग को मान लिया.
वही RO/ARO परीक्षा- 2023 के लिए आयोग एक कमेटी बनाएगा. कमिटी सभी पहलुओं पर विचार कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी, जिसके बाद परीक्षा की नई तारीख की घोषणा की जाएगी. PCS प्री की परीक्षा पहले 7 और 8 दिसंबर को होनी थी, जबकि RO/ARO परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को प्रस्तावित थी. अब नई डेट घोषित की जाएगी.
मांग पूरी होने के बाद भी छात्र आयोग के गेट के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं. प्रदर्शन कर रहे छात्रों का तर्क है, RO-ARO परीक्षा पर फैसला होने तक वह आंदोलन जारी रखेंगे.
कब-कब हुआ ‘छात्र आंदोलन’
यह आंदोलन उत्तर प्रदेश का पहला आंदोलन नहीं है. इससे पहले भी कई दर्जन आंदोलन अभियर्थियों ने किया है. सिपाही भर्ती पेपर लीक नीट पेपर लीक से लेकर प्रदेश में शिक्षकों का प्रदर्शन हुआ है.
साल 2001 में पीसीएस परीक्षा के परिणाम में कुछ विषयों में एक भी अभ्यर्थी का चयन होने पर दो दिन आंदोलन चला था. आयोग ने छात्रों से फॉर्म भरवाया था कि जांच होगी लेकिन आंदोलन बेनतीजा साबित हुआ था.
इसके बाद 2006 में स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी भर्ती परीक्षा में धांधली को लेकर अभियर्थियों ने आयोग का कई दिनों तक घेराव किया था. लेकिन सरकार ने बहुत से छात्रों जेल भेज दिया था. जिससे आंदोलन खत्म करना पड़ा था.
साल 2013 से 2016 तक आयोग की ओर से लागू त्रिस्तरीय आरक्षण, आयोग में भ्रष्टाचार, पेपर लीक के खिलाफ, आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अनिल यादव को हटाने और परीक्षाओं की सीबीआई जांच के लिए भी छात्रों का आंदोलन हुआ था.
वहीं साल 2014 में एसएससी के रिजल्ट में धांधली को लेकर एक महीने तक अभियर्थियों ने आंदोलन किया था. जिस कारण एसएससी को रिजल्ट बदलना पड़ा था.
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इसके बाद 2017 में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में भर्ती की अनियमितता, परीक्षा कराने आदि को लेकर 12 दिनों तक छात्रों का आंदोलन चला था.
वहीं इस साल की बात करें तो साल के शुरुआत में आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा-2023 के पेपर लीक के खिलाफ स्टूडेंट्स का आंदोलन देखने योग्य था. यहां भी यूपी सरकार को झुकना पड़ा और परीक्षा रद्द करनी पड़ी.
इसके साथ ही शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी को लेकर भी आंदोलन हुआ था. यह आंदोलन टीचर्स ने किया था. उत्तर प्रदेश के लाखों बेसिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के लिए सरकार ने करीब 3 महीने पहले स्कूल परिसर से ही ऑनलाइन हाजिरी का सख्त नियम बनाया था. पूरे प्रदेश में इस नियम के खिलाफ शिक्षकों का बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया था. इसका नतीजा यह हुआ कि सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा.