लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने मंगलवार को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से अपना इस्तीफा दे दिया. हालांकि, स्वामी प्रसाद पार्टी के सदस्य बने रहेंगे. उन्होंने अपने फैसले के बारे में सपा मुखिया अखिलेश यादव को पत्र लिखा और अपने इस्तीफे से अवगत कराया. इस बीच, मौर्य ने यह भी कहा कि वह पद के बिना भी पार्टी को मजबूत करने का प्रयास करते रहेंगे.
अपने इस्तीफे में मौर्य ने क्या लिखा?
अपने त्याग पत्र में स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा, “मैंने अखिलेश यादव को ‘रथ यात्रा’ का विचार प्रस्तावित किया था, जिसका उद्देश्य जाति-आधारित जनगणना की वकालत करना, आरक्षण की रक्षा करना, बेरोजगारी के मुद्दों को संबोधित करना और संविधान की रक्षा करना था. उन्होंने कहा कि वो ऐसी पहलों के माध्यम से पार्टी के लिए समर्थन बढ़ाना चाहते थे. उन्होंने दावा किया कि अखिलेश होली के बाद यात्रा शुरू करने पर सहमत हुए थे. हालांकि, समझौते के बावजूद, ‘रथ यात्रा’ पहल कभी सफल नहीं हुई.
संज्ञानार्थ,@yadavakhilesh@samajwadiparty pic.twitter.com/SYPBhEvhe8
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) February 13, 2024
‘पार्टी के भीतर भेदभाव’
मौर्य ने आगे कहा कि वह अपनी क्षमता से पार्टी का समर्थन आधार बढ़ाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. हालांकि, जब भाजपा से प्रभावित हुए व्यक्तियों को फिर से शामिल करने के प्रयास किए गए, तो पार्टी के कुछ निचले स्तर के सदस्यों ने इन प्रयासों को केवल ‘मौर्य के व्यक्तिगत प्रयासों’ के रूप में खारिज कर दिया. उन्होंने इस विसंगति की ओर भी इशारा किया कि कैसे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में उनके बयानों को व्यक्तिगत राय के रूप में माना गया, जबकि अन्य महासचिवों के बयानों को स्वचालित रूप से पार्टी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था. मौर्य ने कहा, इस असंगतता ने उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया.