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दुकानों के नाम बदलने के फैसले के खिलाफ NDA के तीन सहयोगी, योगी सरकार से की ये अपील

UP News: यूपी सरकार ने कांवर यात्रा के रूट पर दुकानों और रेस्तरां के मालिकों को नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया है. हालांकि, अब योगी सरकार ने पूरे यूपी में इसे लागू कर दिया है. इस बीच कई जगहों पर दुकानों और भोजनालयों के नाम भी बदले गए हैं. हालांकि, अब यूपी पुलिस पर मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है. बीजेपी सरकार के इस फैसले के खिलाफ NDA के तीन सहयोगी दल भी हैं. जेडीयू, एलजेपी और आरएलडी तीनों ने ही योगी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है.

जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि यूपी में बड़ी कांवर यात्रा बिहार में निकलती है, लेकिन वहां ऐसा कोई आदेश नहीं है. पीएम मोदी कहते हैं सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं. ये सभी को मानना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, पीएम मोदी के इस नारे के खिलाफ हैं. इस फैसले पर योगी सरकार को विचार करना चाहिए. वहीं चिराग पासवान ने कहा कि मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा दुकानों के नाम बदलने के फैसले का समर्थन नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि जब जाति-धर्म के नाम पर कोई विभाजन होता है तो मैं उसका समर्थन नहीं करता

RLD बोली- ये गैर संवैधानिक निर्णय

राष्ट्रीय लोकदल के यूपी अध्यक्ष रामाशीष राय ने इस फैसले को लेकर एक ट्वीट किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘उत्तर प्रदेश प्रशासन का दुकानदारों को अपने दुकान पर अपना नाम और धर्म लिखनें का निर्देश देना जाति और सम्प्रदाय को बढ़ावा देने वाला कदम है. प्रशासन इसे वापस ले. यह गैर संवैधानिक निर्णय  है.

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समाजवादी पार्टी ने भी बोला हमला

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने इस फैसले को बीजेपी की हार की बौखलाहट बताया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘लोकसभा के चुनाव में अपनी पराजय से बौखलाई बीजेपी और आपसी झगड़े में फंसी बीजेपी सरकार प्रदेश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकना चाहती है. नाम लिखी मुसलमानों की दुकानों की सुरक्षा का भी ख़तरा है और दुकानदारों की जान का भी. इसलिए  सरकार के इस जालिमाना आदेश के बाद आशंका यही है कि कांवड़ मार्ग पर ग़ैर हिंदू कोई दुकान नहीं लगाएंगे. संविधान को ख़त्म करने की मंशा  पालने वाले लोग लगातार असंवैधानिक कार्य करके बाबासाहब अंबेडकर का अपमान कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार के इस घोर असंवैधानिक आदेश का सर्वोच्च न्यायालय संज्ञान ले और इस पर तत्काल रोक लगाये.’

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