UP News: केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के आरोपों पर उत्तर प्रदेश सरकार ने जबाव दिया है. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से कहा गया है कि शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है. साथ ही अनुप्रिया पटेल की ओर से लिखे 2 पन्नों के पत्र का जबाव देते हुए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने कई संस्थाओं से मिली जानकारी को उनके सामने रखा है. साथ ही यह भी कहा है कि अगर कोई उम्मीदवार ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति का चयनित नहीं हो पाता है तो उसकी भर्तियां किसी और वर्ग को नहीं दी जाती हैं.
‘अभ्यर्थी का विवरण साक्षात्कार परिषद के समक्ष नहीं होता’
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से कहा गया है कि साक्षात्कार प्रक्रिया कोडिंग आधारित है, जिसमें अभ्यर्थियों का क्रमांक, नाम, रजिस्ट्रेशन संख्या, आरक्षण, श्रेणी और आयु को ढक दिया जाता है. इस प्रकार अभ्यर्थी का व्यक्तिगत विवरण साक्षात्कार परिषद के समक्ष नहीं होता है. साक्षात्कार के माध्यम से चयन के लिए साक्षात्कार परिषद द्विसदस्यीय होती है. प्रथम सत्र और द्वितीय सत्र में अलग-अलग साक्षात्कार परिषदें होती हैं. साक्षात्कार परिषद की ओर से ‘नॉट सूटेबल’ अंकित नहीं किया जाता, बल्कि ग्रेडिंग अंकित की जाती है और उसे औसत के सिद्धांत के आधार पर अंकों में परिवर्तित कर मार्कशीट में अंकित किया जाता है. इस प सदस्य और प्राविधिक परामर्शदाताओं के हस्ताक्षर होते हैं.
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने कई पॉइंट्स में दिए जवाब
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपने लिखे पॉइंट्स में कहा कि, साक्षात्कार के लिए न्यूनतम अर्हता अंक आयोग की ओर श्रेणीवार निर्धारित हैं. सामान्य, EWS और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए 35 प्रतिशत है. रिक्तियों के सापेक्ष यदि किसी श्रेणी के अभ्यर्थी न्यूनतम अर्हता अंक धारित नहीं करते या उपलब्ध नहीं होते, तो ये सारी अनभरी रिक्तियों को आयोग स्तर से किसी अन्य श्रेणी में परिवर्तित करने का अधिकार नहीं है. आरक्षित श्रेणी के पदों पर यदि कोई अभ्यर्थी योग्य नहीं पाया जाता है तो आगामी भर्ती वर्ष के लिए आरक्षित वर्ग की सीट परिवर्तित नहीं की जाती है. उच्च शिक्षा विभाग की ओर से आरक्षण से संबंधित शासनादेशों का अक्षरशः अनुपालन किया जाता है.
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‘अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए सफल न पाया जाना समझ के परे’
दरअसल, 27 जून को सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने 2 पन्नों का एक पत्र लिखा. पत्र में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी से कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित की जाने वाली सिर्फ साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अन्य पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग हेतु आरक्षित पदों पर इस वर्ग के अभ्यर्थी को कई बार ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ घोषित करके इन वर्गों से आने वाले किसी भी अभ्यर्थी का चयन नहीं किया जाता. साथ ही पदों को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है. बार-बार ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ घोषित करके उनको नियुक्ति के लिए सफल ना पाया जाना समझ के परे है.
बार-बार ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ की प्रक्रिया अपनाई जा रही
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि सिर्फ साक्षात्कार आधारित नियुक्ति प्रक्रिया वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग हेतु आरक्षित पदों पर ‘नॉट फाउंड सूटेबल’ की प्रक्रिया बार-बार अपनाते हुए, राज्य सरकार इन पदों को अनारक्षित घोषित करने की व्यवस्था पर तत्काल रोक लगाने के लिए प्रभावी कार्रवाई करके इन वर्गों से आने वाले अभ्यर्थियों में उत्पन्न हो रहे आक्रोश को रोकने का कष्ट करें. अनुप्रिया पटेल के इस पत्र ने यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया था. इसी मामले को लेकर अब सरकार की तरफ से अनुप्रिया पटेल को जवाब भेजा गया है और उनके आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया गया है.