Varanasi Lok Sabha Seat: वाराणसी उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से सबसे हाई-प्रोफाइल सीट है. साल 2024 के 18वें लोकसभा चुनाव में सबकी नजरें इस सीट पर हैं. यहां से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किस्मत दांव पर है. दशकों तक बीजेपी का गढ़ रहे वाराणसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रोफ़ाइल 2014 में और भी ऊंचा हो गया था. उस वक्त बीजेपी के तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और राजनीति में फ्रेशर अरविंद केजरीवाल के बीच एक उच्च-दांव वाला मुकाबला देखा गया था. केजरीवाल पिछले साल दिल्ली में सरकार बनाने में कामयाब होने के बाद राष्ट्रीय मंच पर अपनी छाप छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
सीट का इतिहास
पांच विधानसभा सीटों से बना वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक है. 1957 के बाद से बीजेपी ने सात बार और कांग्रेस ने छह बार यह सीट जीती है. 1991 के बाद से बीजेपी का रिकॉर्ड बिल्कुल सही रहा है. हालांकि, वह केवल एक बार 2004 में कांग्रेस से हारी है. यह निर्वाचन क्षेत्र पीएम मोदी और पूर्व पीएम चंद्र शेखर की चुनावी लड़ाई का मंच भी रहा है, जिन्होंने 1977 में 47.9% के भारी अंतर से सीट जीती थी. हैरत की बात ये है कि यूपी की इस सीट से आज तक न तो सपा चुनाव जीत सकी है न ही बहुजन समाज पार्टी.
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2014-2019 की रणनीति
पीएम मोदी से पहले वाराणसी सीट पर बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी का कब्जा था. 2014 में पार्टी को पता था कि कांग्रेस को बाहर करने और केंद्र में सत्ता में आने का उसका रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं. नरेंद्र मोदी को इस निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारने का उद्देश्य पड़ोसी राज्य बिहार और उसकी 40 लोकसभा सीटों पर चुनाव को प्रभावित करना भी था. एक बार फिर साल 2019 में इस सीट से नरेंद्र मोदी सांसद चुने गए. उन्होंने समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव के खिलाफ 4.7 लाख से अधिक वोटों के आश्चर्यजनक अंतर से जीत हासिल की.
नंबर गेम
वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र में कुल आबादी का 75% हिंदू हैं, 20% मुस्लिम हैं और 5% अन्य धर्मों से हैं. इसकी 65% प्रतिशत आबादी शहरी और 35% ग्रामीण है. कुल निवासियों में से 10.1% अनुसूचित जनजाति से हैं और अनुसूचित जाति 0.7% है.