Kedarnath Temple Controversy: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बुराड़ी में बन रहे केदारनाथ मंदिर का जमकर विरोध हो रहा है. इसको लेकर एक ओर जहां कांग्रेस ने राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया है तो दूसरी तरफ केदारनाथ मंदिर से जुड़े पंडे पुजारी भी अपना विरोध जता रहे हैं. इस विवाद में अब अयोध्या राम मंदिर के प्रमुख पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.
आचार्य सत्येंद्र दास ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं, केदारनाथ जी उनमें से एक हैं. यह उत्तराखंड में है और इसमें सर्वोच्च शक्तियां हैं. 12 ज्योतिर्लिंग की शक्तियां अतुलनीय हैं, इसलिए लोग आशीर्वाद लेने के लिए वहां जाते हैं. अगर इसी नाम से (दिल्ली में) कोई दूसरा मंदिर बन रहा है तो वह 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल नहीं होगा. मंदिर की प्रतिकृति से लोगों को वही परिणाम नहीं मिलेंगे. केदारनाथ के नाम पर दूसरा मंदिर बनाना उचित नहीं है, अगर इसे बनना ही है तो इसका दूसरा नाम होना चाहिए. केदारनाथ मंदिर एक ही है और यह ऐसा ही रहेगा.”
VIDEO | “There are 12 Jyotirlinga, Kedarnath Ji is among them. It is in Uttarakhand, and it holds supreme powers. The powers of 12 Jyotirlinga is incomparable, hence people go there to seek blessings. If another temple is coming up (in Delhi) with the same name, it will not be in… pic.twitter.com/N9ORZ7bBDd
— Press Trust of India (@PTI_News) July 16, 2024
‘केदारनाथ से 228 किलो सोना गायब’
इससे पहले ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सोमवार को कहा था, “केदारनाथ में सोने का घोटाला हुआ है, यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया जाता? वहां घोटाला करने के बाद अब दिल्ली में केदारनाथ बनेगा? और फिर एक और घोटाला होगा. केदारनाथ से 228 किलो सोना गायब है. कोई जांच शुरू नहीं हुई है. इसके लिए कौन जिम्मेदार है? अब वे कह रहे हैं कि वे दिल्ली में केदारनाथ बनाएंगे, ऐसा नहीं हो सकता.”
CM धामी की मौजूदगी में हुआ था शिलान्यास
दरअसल, दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर की तरह एक मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, जिसके शिलान्यास में दस जुलाई को खुद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे थे. इसको लेकर धामी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, “नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर दिल्ली धाम के भूमि-पूजन कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ. इस अवसर पर संत समाज एवं विद्वतगणों के साथ वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मंदिर निर्माण का भूमि पूजन किया. निश्चित रूप से इस मंदिर का निर्माण शिव भक्तों के लिए हर्ष का क्षण है साथ ही सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी यह स्थल सहायक सिद्ध होगा. यह मंदिर समाज को अध्यात्म एवं वर्तमान पीढ़ी को प्राचीन संस्कृति से जोड़ने के केंद्र के रूप में भी अपना योगदान देगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वैश्विक पटल पर सनातन संस्कृति की पताका फहरा रही है. हमारी डबल इंजन सरकार भी संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए लगातार कार्य कर रही है.”
क्यों शुरू हुआ विवाद?
बता दें कि केदारनाथ धाम ट्रस्ट बुराड़ी के अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला के अजीबोगरीब बयान से यह सारा विवाद शुरू हुआ है. उन्होंने कहा कि जो बुजुर्ग हैं और केदारनाथ धाम नहीं जा पाते हैं वह अब दिल्ली में बाबा के दर्शन कर सकते हैं. बस तभी से इस मंदिर का विरोध शुरू हो चुका है.