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जिस नेता को बता रहे थे ‘मास्टर स्ट्रोक’, उन्हें जनता ने किया खारिज, Badrinath में भाजपा की हार के पीछे क्या रही वजह?

Badrinath Bypolls

राजेंद्र भंडारी

Badrinath Bypolls: विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा झटका लगा है. इस चुनाव में भाजपा ने बंगाल में जहां अपनी 3 सीटें गंवा दी, वहीं उत्तराखंड और हिमाचल में भी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है. उत्तराखंड की दोनों सीटों पर कांग्रेस ने बहुत ही कम अंतर से जीत दर्ज कर बीजेपी को झटका दिया है. मंगलौर विधानसभा सीट पर आखिरी चार चरणों में उलटफेर की संभावनाओं के बीच कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन ने 422 वोटों से जीत हासिल की. दूसरी तरफ, बद्रीनाथ सीट पर 5,224 वोटों से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. बद्रीनाथ सीट पर हार भाजपा को ज्यादा चुभेगी क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले जिस राजेंद्र भंडारी को पार्टी में शामिल कराया गया और इसे मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा था, वह जनता को रास नहीं आया.

पैराशूट उम्मीदवार को जनता ने किया खारिज

बद्रीनाथ में राजेंद्र भंडारी जैसे दलबदल कर आए नेता को जनता ने स्वीकार नहीं किया. हालांकि, पूरी कैबिनेट इन्हें जीताने कि लिए प्रचार में लगी थी लेकिन अंत में भंडारी को हार का सामना करना पड़ा. लोकसभा चुनाव के वक्त से ही जमीन चल रही विपरीत बयार को पार्टी भांप नहीं पाई, जनता ने पैराशूट उम्मीदवार को स्वीकार नहीं किया और इस तरह पार्टी को बद्रीनाथ सीट पर हार झेलनी पड़ी.

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स्थानीय भाजपा नेताओं में असमंजस की स्थिति

जब से भंडारी भाजपा में आए थे, उसी वक्त से पार्टी कार्यकर्ता भी असमंजस की स्थिति में थे. भाजपा नेताओं को यह समझ नहीं आ रहा था कि दो महीने पहले तक जिस नेता की कमियां जनता को बताते थे, अचानक उसकी खूबियां कैसे बताएं. दूसरी तरफ, कांग्रेस ने भंडारी के पुराने वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल किए जिसमें उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा था. कांग्रेस की इस रणनीति ने भाजपा वोटर्स के मन में भंडारी के प्रति असंतोष पैदा करने का काम किया, जिसके वजह से भाजपा के वोटर्स मतदान को लेकर उत्साहित नहीं दिखे और नतीजन चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को जीत मिल गई.

थोपा गया चुनाव जनता को नहीं आया रास

2022 में बीजेपी की लहर के बीच कांग्रेस के टिकट पर चुनकर आए राजेंद्र भंडारी 2024 लोकसभा चुनाव से पहले अनिल बलूनी के संपर्क में आए और भाजपा में शामिल हो गए. लेकिन मानसून के बीच जनता को थोपा गया ये चुनाव रास नहीं आया. दलबदल कर आए भंडारी जनता से कनेक्ट नहीं कर पाए और जनमत उनके खिलाफ चला गया.

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