Uttarakhand News: महज पांच लोकसभा सीट वाला उत्तराखंड भाजपा के एजेंडे के लिए अहम रहा है. जहां लोकसभा चुनावों की घोषणा से कुछ सप्ताह पहले, राज्य विधानसभा ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पारित किया. आजादी के बाद किसी भी राज्य में पारित किया गया ऐसा पहला विधेयक है. यूसीसी कानून को एक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है जिसे भविष्य में अन्य भाजपा शासित राज्यों में लागू किया जा सकता है. लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान तेज होने पर यह निश्चित रूप से उत्तराखंड में एक बड़ा मुद्दा होगा.
19 अप्रैल को होगी वोटिंग
उत्तराखंड में मतदान लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को होगा. भाजपा ने पिछले दो संसदीय चुनावों, 2014 और 2019 में उत्तराखंड की सभी पांच लोकसभा सीटें जीतीं. पार्टी को उम्मीद है कि यूसीसी और अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन जैसे मुद्दे उत्तराखंड में लगातारी तीसरी बार उसे फिर इसी तरह की सफलता दिलाएंगे. इनके अलावा ‘मोदी फैक्टर’ तो है ही. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले कुछ साल में लगातार राज्य का दौरा किया है और केदारनाथ एवं बद्रीनाथ में परियोजनाओं पर व्यक्तिगत रूप से निगरानी रखी है. भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद है कि सिलक्यारा सुरंग के सफल बचाव अभियान से भी उसे फायदा मिलेगा जिसमें केंद्र सरकार ने अपने सभी संसाधनों को लगा दिया था. नवंबर महीने में इस अभियान में सुरंग में फंसे सभी 41 कर्मियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था.
ये भी पढ़ेंः सपा ने 6 उम्मीदवारों की लिस्ट की जारी, धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ से चुनाव मैदान में उतारा
सत्तारूढ़ दल तीर्थस्थलों पर विकास कार्यों, चारधाम तक हर मौसम में ले जा सकने वाले सड़क मार्ग और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन समेत महत्वाकांक्षी सड़क, रेल और हवाई संपर्क परियोजनाओं को भी भुना सकता है. सत्तारूढ़ दल से कुछ सीटें पाने की कोशिश में लगी कांग्रेस के अनुसार वास्तविक मुद्दे बेरोजगारी, महंगाई, बढ़ता भ्रष्टाचार और महिलाओं के खिलाफ अपराध हैं. उसे उम्मीद है कि राम मंदिर और यूसीसी पर भाजपा के विमर्श की तुलना में उक्त मुद्दों को जनता महत्व देगी. भाजपा ने 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को शिकस्त दी थी.