UCC Bill: उत्तराखंड की विधानसभा में आज ऐतिहासिक बिल पेश किया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता यानी कि यूनिफॉर्म सिविल कोड(यूसीसी) बिल पेश किया. सीएम धामी ने इसे इतिहास की युगांतकारी घटना बताया है. इस बिल पर देशभर में अलग माहौल बन गया है. यह बिल केंद्रीय राजनीति का चर्चा बना हुआ है. पूरे देश में समान नागरिक संहिता को लेकर बहस छिड़ गई है. जहां एक ओर इसे मॉडल के रूप में पेश किया जा रहा है, वहीं कई बीजेपी शासित राज्यों में इसे लागू करने की सुगबुगाहट तेज हो गई है.
केंद्र सरकार को विधि आयोग की रिपोर्ट का इंतजार
स्वतंत्रता के बाद उत्तराखंड देश में यूसीसी कानून लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है. जानकारी के लिए बता दें कि पुर्तगाली शासन के दिनों से गोवा में भी यूसीसी लागू है. केंद्र के साथ-साथ गुजरात और असम समेत देश के कई बीजेपी शासित राज्यों ने उत्तराखंड के यूसीसी मॉडल को अपनाने की इच्छा जाहिर की है. बताते चलें कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून बीजेपी के मेनिफेस्टो का हिस्सा था. ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से भी विधि आयोग की रिपोर्ट के बाद इस दिशा में विचार करने की बात कही जा चुकी है. फिलहाल देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून की जगह आपराधिक संहिता लागू है..
बीजेपी के तीन प्राथमिक एजेंडों में शामिल है यूसीसी
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-44 के तहत ये कहा गया है कि यह अनुच्छेद देश के लिए एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिए सभी कानूनों में भी एकरूपता प्रदान करने का प्रावधान करती है. इसी अनुच्छेद को लेकर बीजेपी देशभर में समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रयास कर रही है. बताते चलें कि यूसीसी बीजेपी के राम मंदिर, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाने जैसे तीन प्राथमिक एजेंडों में शामिल रहा है.
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डिप्टी सीएम का दावा, यूपी में जल्द लागू होगा यूसीसी
उत्तर प्रदेश में भी समान नागरिक संहिता कानून को लेकर चर्चा तेज हो गई है. उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ‘X’ पर पोस्ट कर लिखा, ‘भाजपा के वैचारिक मुद्दों में एक है यूसीसी, सही समय पर यूपी में भी आएगा…’. बताते चलें कि उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने पिछले साल सितंबर में समान नागरिक संहिता लागू करने पर अपनी सहमति दे दी है. इस दौरान विधि आयोग ने कहा था कि सरकार आपराधिक कानून की तरह राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करे जो सभी धर्मों के लिए स्वीकार हो.
एमपी और राजस्थान में चर्चा तेज
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी एक इंटरव्यू में बीते दिनों ही समान नागरिक संहिता पर कहा कि जैसा केंद्र सरकार जैसा कहेगी, हम उस आधार पर आगे बढ़ेंगे. हमारी विचारधारा सभी को पता है. हम उसी दिशा में आगे बढ़ते हैं. वहीं राजस्थान के कैबिनेट मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने भी बड़ा संकेत देते हुए कहा कि हम कोशिश करते हैं कि उत्तराखंड के बाद हम इस बिल को लाने वाले दूसरे राज्य बने और हम चाहते हैं कि मौजूदा सत्र में इस पर चर्चा भी हो. उन्होंने आगे कहा कि सीएम भजनलाल शर्मा इसके समर्थन में हैं, उन्होंने इसके लिए निर्देश भी दिए हैं. दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में भी इसे लेकर हलचल तेज है.
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हरियाणा और असम में लगी होड़
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी कई मौकों पर यूसीसी का समर्थन किया है. उन्होंने कुछ दिनों पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि राज्य सरकार यूसीसी लागू करने की पक्षधर है. समाज में एकरूपता जरूरी है. मोटे तौर पर हमने इसे लागू करने पर सहमती बना ली है. वहीं असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंता बिस्वा सरमा ने भी हाल ही में दावा कर दिया है कि असम उत्तराखंड और गुजरात के बाद यूसीसी लागू करने वाला तीसरा राज्य बनेगा. उन्होंने कहा कि बजट सत्र में सरकार एक विधेयक लाने की योजना बना रही है.
गुजरात-महाराष्ट्र में बिल को मिला समर्थन
गुजरात में बीजेपी की सरकार में गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने वर्ष 2022 में ही यूसीसी को लेकर कहा था कि यूसीसी के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा. केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला भी गुजरात में जल्द यूसीसी लागू करने का दावा कर चुके हैं. वहीं महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी शिंदे सरकार भी इसके समर्थन में है. शिवसेना सांसद राहुल शेवाले ने यूसीसी को बाल ठाकरे का सपना बताया था.