Afghanistan to Restrict Kunar River Water to Pakistan: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हाल ही में युद्ध की स्थिति बन गई थी. पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें कई लोग मारे गए थे. वहीं जवाबी हमले में अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की कई चौकियों को तबाह कर दिया था और बड़ी संख्या में पाक सैनिक मारे गए थे. इस तनाव के बाद अब अफगानिस्तान ने भारत की तर्ज पर पाकिस्तान का पानी रोकने की योजना बनाई है. भारत के बाद अब अफगानिस्तान के इस कदम से पाकिस्तान में हाहाकार मच सकता है.
दरअसल, तालिबान के सूचना उप मंत्री मुजाहिद फराही ने कहा है कि जल एवं ऊर्जा मंत्रालय को तालिबान के सर्वोच्च नेता शेख हिबतुल्लाह अखुंदजादा से कुनार नदी पर बांध बनाने का काम शुरू करने के निर्देश मिले हैं. तालिबान की ये घोषणा भारत के उस कदम के बाद आई है, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने सिंधु जल समझौता को रोक दिया था. भारत के इस फैसले के बाद पाकिस्तान बहुत बिलबिलाया था.
‘अफगान को अपने जल प्रबंधन का अधिकार’
वहीं ऊर्जा और जल मंत्रायल के प्रमुख मुल्ला अब्दुल लतीफ मंसूर ने कहा है कि अफगानों को अपने पानी का प्रबंधन करने का पूरा अधिकार है. अब अफगानिस्तान कुनार नदी पर बांध बनाकर पाकिस्तान को जाने वाले पानी को रोकता है तो दूसरे मोर्चे पर भी पाकिस्तान के लिए आफत शुरू हो जाएगी और पाक बूंद-बूंद पानी को तरस जाएगा. अफगानिस्तान ने ये कदम पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष के बाद उठाया है.
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एक और ‘वॉटर वार’ के कगार पर पाकिस्तान
बता दें कि 480 किमी लंबी कुनार नदी हिंदू कुश पर्वतों से निकलकर काबुल नदी में मिलती है. यह पाकिस्तान के लिए एक अहम जल स्रोत है और अफगानिस्तान ने अपने हिस्से का पानी अगर रोका तो पाकिस्तान को अब दूसरे मोर्चे पर भी ‘वॉटर क्राइसिस’ का सामना करना पड़ेगा. भारत-पाक के बीच निश्चित तौर पर सिंधु जल संधि थी, जिसे मोदी सरकार ने सस्पेंड कर दिया. लेकिन, पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच काबुल नदी और इसकी सहायक नदियों के जल बंटवारे को लेकर कोई औपचारिक द्विपक्षीय समझौता नहीं है.
पाकिस्तान को होगा बड़ा नुकसान
कुनार नदी पर बांध बनाने की अफगानिस्तान पिछले कुछ समय से तैयारी कर रहा है. दूसरी तरफ, पाकिस्तान अफगानिस्तान के डैम प्रोजेक्ट्स पर चिंता जाहिर कर चुका है, क्योंकि इससे उसके इलाकों में आने वाली पानी की सप्लाई कम हो सकती है. पाक मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कुनार नदी पर बांध बनने से काबुल नदी के जल प्रवाह में 16 से 17% तक की कमी आ सकती है और इससे पाकिस्तान के इलाकों में खेती और जल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.
