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हसीना शासन के ‘गायब लोग’ या नए गैंगवार का नतीजा…बांग्लादेश की नदियों में कौन फेंक रहा है लाशें?

Bangladesh News

प्रतीकात्मक तस्वीर

Bangladesh News: बांग्लादेश की नदियां आज एक डरावने रहस्य की कहानी कह रही हैं. ढाका के पास बहने वाली बुरीगंगा, शीतलाक्ष्या और मेघना जैसी प्रमुख नदियों में लगातार शव मिल रहे हैं, मानो पानी खुद कोई राज उगल रहा हो. पुलिस ने अब तक 750 से भी ज्यादा शव बरामद किए हैं, जिससे पूरे देश में दहशत का माहौल है. ये लाशें कहां से आ रही हैं और इनके पीछे का सच क्या है? आइए, इस भयावह कहानी को विस्तार से समझते हैं…

नदियों का काला रहस्य

बांग्लादेश की ये नदियां सिर्फ पानी के रास्ते नहीं, बल्कि देश की धमनियां हैं. ढाका शहर के पास बहने वाली बुरीगंगा तो कभी ‘पुरानी गंगा’ कहलाती थी, जहां व्यापार फलता-फूलता था. लेकिन हाल के महीनों में, खासकर अगस्त 2025 से इन नदियों से रोजाना 2-3 शव मिलने लगे हैं. पुलिस के मुताबिक, ज्यादातर शव बैगों में बंद करके या गले में पत्थर बांधकर फेंके गए थे, ताकि वे डूब जाएं. लेकिन पानी ने इन रहस्यों को वापस उगल दिया है. कुछ शव इतने सड़े हुए हैं कि पहचानने में मुश्किल हो रही है, जबकि कुछ को बिना नाम के ही दफना दिया गया.

रिसर्च से पता चलता है कि ये समस्या नई नहीं है. 2025 में खासकर शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद, अपराधों में उछाल आया है. आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 में ही 294 हत्याएं दर्ज हुईं, जो पिछले साल से 27% ज्यादा हैं. अपहरण के मामले दोगुने हो गए. कुल 464 अपहरण की घटनाएं अगस्त-नवंबर 2024 के बीच रिपोर्ट हुईं. लेकिन इन नदियों से मिलने वाले शवों का आंकड़ा 750 पार कर गया है. स्थानीय लोग डर रहे हैं कि क्या ये सामान्य अपराध हैं, या कुछ बड़ा षड्यंत्र?

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दो थ्योरी जो सिर घुमा देंगी

इस रहस्य को सुलझाने के लिए ढाका में दो मुख्य थ्योरी घूम रही हैं. पहली थ्योरी बिल्कुल फिल्म जैसी है, गुंडे और माफिया लोगो को अगवा कर मार रहे हैं, फिर लाशें नदियों में फेंक रहे हैं. बांग्लादेश में अपहरण के मामले 2024 की तुलना में 61% बढ़ गए हैं. हर महीने औसतन 87 लोग गायब हो रहे हैं. सरकार के गृह सलाहकार ने भी माना है कि अपहरण और हत्याओं को रोकने में नाकामी हुई है. हसीना सरकार के समय ये संख्या 5 से ज्यादा थी, लेकिन अब भी अपराधी बेलगाम हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि आर्थिक तंगी, बेरोजगारी और कानून-व्यवस्था की कमजोरी ने इन गुंडों को हौसला दिया है.

दूसरी थ्योरी और भी डरावनी है. मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, शेख हसीना के 15 साल के शासन (2009-2024) में करीब 700 लोग जबरन गायब कर दिए गए थे. ये राजनीतिक विरोधी, कार्यकर्ता या पत्रकार थे, जिन्हें सेना की खुफिया एजेंसी DGFI या RAB (रैपिड एक्शन बटालियन) ने पकड़ा और गुप्त जेलों में डाल दिया. हसीना के पतन के बाद कुछ कैदी रिहा हुए, जैसे माइकल चाकमा. लेकिन कई लाशें अब नदियों में तैर रही हैं. एक रिपोर्ट में कहा गया कि 3,500 से ज्यादा गायब लोगों में से 330 की मौत हो चुकी है, और उनके शव नदियों में फेंके गए. अंतरिम सरकार ने इसकी जांच के लिए आयोग बनाया है, लेकिन सच अभी भी धुंधला है.

डर का साया, उम्मीद की किरण

ये शव न सिर्फ परिवारों को तोड़ रहे हैं, बल्कि पूरे समाज को डरा रहे हैं. नदियों के किनारे रहने वाले मछुआरे अब डरते हैं, व्यापार प्रभावित हो रहा है. लेकिन अच्छी खबर ये है कि अंतरिम सरकार ने कई कदम उठाए हैं. सरकार ने आयोग बनाया, संयुक्त राष्ट्र से मदद मांगी और RAB जैसी विवादास्पद फोर्स को भंग करने की सिफारिश की. 2025 में अपराध रोकने के लिए ‘ऑपरेशन डेविल हंट’ चला, जिसमें 7,000 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुईं. लेकिन चुनौतियां बाकी हैं.

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