Donald Trump Xi Jinping Meeting: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग छह साल बाद आमने-सामने आए. जगह थी दक्षिण कोरिया का गिम्हे एयरबेस. मौका? एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन (APEC) समिट का साइड शो. प्लान था सिर्फ एक घंटे की बातचीत, लेकिन दोनों इतने मशगूल हो गए कि मीटिंग डेढ़ घंटे तक खिंच गई. बाहर निकले तो ट्रंप के चेहरे पर वो वाली स्माइल थी, जो जीत के बाद आती है. उन्होंने कहा, “10 में से 12 नंबर दूंगा इस मीटिंग को.
लाल कालीन पर ‘फॉर्मल ड्रामा’
सुबह-सुबह का सीन किसी बॉलीवुड फिल्म की तरह लग रहा था. लाल कालीन बिछा, दोनों देशों के झंडे लहरा रहे थे. ट्रंप पहले से खड़े, हाथ जोड़े हुए. थोड़ी देर बाद जिनपिंग की कार रुकी. दोनों ने हाथ मिलाया. लेकिन जोश की बजाय ठंडक ज्यादा थी. ट्रंप के चेहरे पर टेंशन दिखाई दे रही थी, जैसे कोई बड़ा पेपर देने जा रहा हो. वहीं, जिनपिंग, बिल्कुल पत्थर की तरह लग रहे थे, न मुस्कान, न टेंशन.
ट्रंप ने मीटिंग के बाद कहा, “ये बहुत टफ नेगोशिएटर हैं, हमारे लिए अच्छा नहीं.” जिनपिंग ने जवाब दिया, “सहमति हर बात पर नहीं होती, लेकिन सही दिशा में चलना जरूरी है.” मतलब साफ है कि दोनों के दिमाग में ट्रेड वॉर, टैरिफ और फ्यूचर डील्स घूम रही थीं.
मीटिंग में क्या-क्या हुआ?
मीटिंग के दौरान दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनी. चीन ने वादा किया कि अमेरिका से ढेर सारा सोयाबीन और दूसरे कृषि प्रोडक्ट्स खरीदेगा. इसके बाद ट्रंप ने भी फेंटेनिल ड्रग्स के केमिकल्स पर लगे 20% टैरिफ को 10% कर दिया. चीन ने कहा कि ऐसे केमिकल्स की सप्लाई रोकेना जरूरी है. इसके बाद ट्रंप ने कहा कि वो अप्रैल 2026 में चीन की यात्रा करेंगे.
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एयर फोर्स वन पर प्रेस कॉन्फ्रेंस
मीटिंग खत्म होते ही दोनों अलग-अलग कारों में निकल गए. ट्रंप सीधे एयर फोर्स वन में चढ़े और पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, “ये मीटिंग अमेजिंग थी. 10 में से 12 नंबर. हमने कई बड़े फैसले लिए. ट्रेड टेंशन कम होगा.” उधर जिनपिंग चुपचाप वापस लौटे. कोई बयान नहीं, कोई स्माइल नहीं. लेकिन उनके एक्शन बता रहे थे कि चीन लंबी रेस का घोड़ा है, जल्दबाजी नहीं करेगा.
क्यों खास थी ये मीटिंग?
ये ट्रंप के दूसरे टर्म की पहली बड़ी विदेश नीति जीत मानी जा रही है. 2018-19 के ट्रेड वॉर के बाद दोनों देशों के रिश्ते ठंडे थे. अब लग रहा है बर्फ पिघलने लगी है. विश्लेषक कहते हैं कि ट्रंप को तुरंत रिजल्ट चाहिए, जिनपिंग को स्थिरता. दोनों ने अपना-अपना गोल हासिल किया.
बताते चलें कि अप्रैल 2026 में ट्रंप का चीन दौरा तय है. तब तक छोटे-छोटे एग्रीमेंट्स आते रहेंगे. लेकिन असली टेस्ट होगा कि क्या दोनों देश पुरानी दुश्मनी भूलकर नई दोस्ती लिख पाएंगे या ये सिर्फ एक ‘फोटो-ऑप’ था? फिलहाल ट्रंप गदगद हैं, जिनपिंग शांत नजर आ रहे हैं और दुनिया देख रही है कि आगे क्या होगा.
