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पेरिस से लेकर रोम तक…आखिर क्यों यूरोप में आग उगल रहा सूरज?

Europe Heatwave

यूरोप में भारी गर्मी

Europe Heatwave: यूरोप में इस वक्त सूरज आग उगल रहा है. गर्मी इतनी ज़्यादा है कि लोग घरों में दुबकने को मजबूर हैं और कई जगहों पर तो रिकॉर्ड टूट गए हैं. पेरिस से लेकर रोम तक, हर शहर गर्मी की मार झेल रहा है. पेरिस का मशहूर एफिल टॉवर भी दो दिनों के लिए बंद करना पड़ा, क्योंकि पारा 41 डिग्री तक पहुंच गया है. जहां आमतौर पर पर्यटकों की भीड़ रहती है, वहीं अब लोग छांव ढूंढते और पसीना पोंछते नजर आ रहे हैं. फ्रांस की मौसम एजेंसी ने तो राजधानी समेत 15 इलाकों में रेड अलर्ट जारी कर दिया है. फ्रांस में 1900 के बाद दूसरा सबसे गर्म जून रहा और मार्से में तापमान 41.3 डिग्री तक जा पहुंचा.

इटली में ‘रोमांटिक समर’ पर भी कहर

‘रोमांटिक समर’ के लिए मशहूर इटली में भी अब गर्मी कहर ढा रही है. लाज़ियो, टस्कनी और सिसली जैसे इलाकों में इतनी गर्मी है कि दोपहर में खुले में काम करने पर रोक लगा दी गई है. ट्रेड यूनियनें तो इसे पूरे देश में लागू करने की मांग कर रही हैं. स्पेन और ग्रीस का भी हाल बुरा है. स्पेन के सेविले में पारा 42 डिग्री C तक पहुंच गया है, वहीं ग्रीस में 40 डिग्री C के आसपास तापमान होने से एथेंस के दक्षिण में जंगलों में भीषण आग लग गई. यहां तक कि लंदन में चल रहे विंबलडन टेनिस टूर्नामेंट का पहला दिन भी अब तक का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया. जर्मनी, नीदरलैंड्स और ऑस्ट्रिया जैसे देश भी इस भीषण गर्मी से परेशान हैं.

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आखिर क्यों झुलस रहा है यूरोप?

यूरोपीय संघ की कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के मुताबिक, जून में यूरोप को एक के बाद एक दो भयंकर हीटवेव का सामना करना पड़ा. विशेषज्ञों का मानना है कि इसका सबसे बड़ा कारण मानव-जनित जलवायु परिवर्तन है. शहरों में ऊंची इमारतें, कंक्रीट और सड़कें गर्मी को रोक लेती हैं, जिससे अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट पैदा होता है.

लेकिन इस बार एक और बड़ी वजह सामने आई है, जिसे मौसम वैज्ञानिक ‘हीट डोम’ कहते हैं. यह एक ऐसा हाई-प्रेशर सिस्टम है जो गर्म और शुष्क हवा को एक ही जगह पर फंसा लेता है. इस ‘डोम’ ने उत्तरी अफ्रीका से आने वाली गर्म हवा को दक्षिणी यूरोप की ओर खींच लिया है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है.

2023 में ‘द लैंसेट पब्लिक हेल्थ’ की एक स्टडी ने चेतावनी दी थी कि अगर तापमान इसी रफ्तार से बढ़ता रहा, तो इस सदी के अंत तक यूरोप में गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या तीन गुना तक बढ़ सकती है. इटली, ग्रीस और स्पेन जैसे देशों में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिल सकता है. यह हम सबके लिए एक बड़ी चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लिया जाए.

लेना होगा बड़ा फैसला!

शहरों को कंक्रीट के जंगल में बदल कर हमने वाकई खूब तरक्की की है. पेड़ों की छांव की जगह गगनचुंबी इमारतें खड़ी कर दीं और मिट्टी को डामर से पाट दिया. अब जब सूरज आग बरसा रहा है और ये ‘कंक्रीट के जंगल’ भट्टी बन गए हैं, तो हम हैरान हैं कि इतनी गर्मी क्यों पड़ रही है. वाकई, हमने अपने लिए क्या शानदार घरौंदा बनाया है, जहां एसी के बिल आसमान छू रहे हैं और बाहर निकलने का मतलब है खुद को भून लेना.

और हां, हमने हरियाली को अलविदा कह कर एक बेहतरीन फैसला लिया है! अब न तो पत्तों की सरसराहट है और न ही मिट्टी की सौंधी खुशबू. बस गाड़ियों का शोर, धूल और चमचमाती कंक्रीट की दीवारें. और जब यही दीवारें सूरज की तपिश से तपने लगती हैं, तो हम माथे पर शिकन लिए सोचते हैं, “अरे, ये क्या हो रहा है?” शायद अब हमें फ्रिज में रहने की आदत डाल लेनी चाहिए, क्योंकि बाहर तो हमने खुद ही आग का दरिया बना दिया है.

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