Iran: क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया का तेल व्यापार एक पतली सी समुद्री पट्टी पर टिका है? जी हां, फारस की खाड़ी और अरब सागर को जोड़ने वाला होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) वो ही जगह है, जहां से तेल-गैस का बड़ा कारोबार होता है. हाल ही में एक खुफिया रिपोर्ट ने इस महत्वपूर्ण रास्ते पर एक बड़े खतरे का खुलासा किया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ईरान का पानी के नीचे बारूदी सुरंगें बिछाने का प्लान था.
क्या था ईरान का इरादा?
अमेरिका की खुफिया एजेंसियों का दावा है कि जून के महीने में जब इजरायल और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर था, ईरान अपने नौसैनिक जहाजों में नैवल माइंस (बारूदी सुरंगें) लोड कर रहा था. ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं थी, बल्कि होर्मुज को बंद करने की एक बड़ी तैयारी थी. कल्पना कीजिए, अगर ये रास्ता बंद हो जाता, तो सऊदी अरब, इराक, कतर जैसे बड़े तेल उत्पादक देशों का कच्चा तेल और गैस अटक जाता. नतीजा? पूरी दुनिया में तेल की कीमतें आसमान छू लेतीं और वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति चरमरा जाती.
होर्मुज की अहमियत
यह जलडमरूमध्य सिर्फ 34 किलोमीटर चौड़ा है, लेकिन इसका रणनीतिक और आर्थिक महत्व बहुत ज्यादा है. यहीं से भारत और चीन जैसे देशों के लिए भी तेल आता है. अगर ईरान अपने इरादों में कामयाब हो जाता, तो यह एक वैश्विक संकट होता.
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क्या यह सिर्फ एक धमकी थी?
अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ईरान ने माइंस लोड करके दो बातें साबित कीं, या तो वो सच में रास्ता बंद करने की तैयारी कर रहा था, या फिर अमेरिका और उसके सहयोगियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालना चाहता था. इस आशंका को और बल तब मिला जब ईरानी संसद ने 22 जून को होर्मुज को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया. हालांकि, यह अंतिम निर्णय नहीं था, क्योंकि इसे सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल से मंजूरी मिलनी बाकी थी. ईरान पहले भी कई बार होर्मुज को बंद करने की धमकी दे चुका है, लेकिन अब तक यह सिर्फ धमकियों तक ही सीमित रहा है.
फिलहाल खतरा टला, पर सतर्कता जारी
अच्छी बात यह है कि अमेरिकी हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक दबाव और सैन्य सतर्कता के चलते यह संकट फिलहाल टल गया है. होर्मुज जलडमरूमध्य अभी भी खुला है और वैश्विक तेल बाजार में कीमतें स्थिर बनी हुई हैं. लेकिन अमेरिकी नौसेना और खुफिया एजेंसियां पूरी तरह से सतर्क हैं. बहरीन में तैनात अमेरिका की पांचवीं बेड़ा (Fifth Fleet) इस क्षेत्र में सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है. हाल ही में जब ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला हुआ, तो अमेरिका ने अपने एंटी-माइन जहाजों को अस्थायी तौर पर वहां से हटा लिया था, ताकि ईरानी जवाबी हमले में उन्हें नुकसान न पहुंचे.
इस घटना ने एक बार फिर दिखाया है कि मध्य पूर्व का भू-राजनीतिक परिदृश्य कितना संवेदनशील है और दुनिया की ऊर्जा सुरक्षा कितनी नाजुक डोर से बंधी है.
