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ओली के वो 5 फैसले जो बन गए गले की फांस…’Gen-Z’ के गुस्से को कैसे झेल पाएंगे नेपाली प्रधानमंत्री?

Nepal Genz Protest

प्रदर्शन की आग में जल रहा है नेपाल!

Nepal Gen-Z Protest: नेपाल के युवाओं ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार की नींव हिला दी है. सड़कों से लेकर संसद तक, युवाओं ने हंगामा मचा रखा है और उनकी मांग साफ है, बदलाव चाहिए, और वो भी अभी! पिछले दो दिनों से पूरा नेपाल Gen-Z के गुस्से की आग में जल रहा है. अब तो नेपाली मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि पीएम ओली इलाज करवाने के लिए दुबई जा सकते हैं.

दूसरी तरफ नेपाल सरकार के गृहमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और कृषि मंत्री समेत 10 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री ओली का इस्तीफा मांग रहे हैं. लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि नेपाल के नौजवान इस कदर नाराज हैं? क्या सिर्फ सोशल मीडिया बैन के चलते भड़क गए हैं युवा या फिर अंदर बात कुछ और है? चलिए, ओली सरकार की उन पांच बड़ी भूलों की कहानी विस्तार से बताते हैं, जिन्होंने इस आग को हवा दी.

सोशल मीडिया पर पाबंदी

कल्पना कीजिए, आप सुबह उठते हैं और पता चलता है कि आपका फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब बंद कर दिया गया है. नेपाल में यही हुआ. ओली सरकार ने पिछले हफ्ते इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया. वजह? सरकार का कहना है कि ये कंपनियां उनके IT मंत्रालय में रजिस्टर नहीं थीं. लेकिन युवाओं को ये फैसला रास नहीं आया. उनके लिए सोशल मीडिया सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि अपनी बात दुनिया तक पहुंचाने का जरिया है. इस बैन को उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला माना. नतीजा? काठमांडू की सड़कें नारों और प्रदर्शनों से गूंज उठीं. युवाओं ने संसद भवन तक मार्च किया और पूरे देश में आंदोलन की चिंगारी फैल गई.

भारत से तनाव

नेपाल और भारत का रिश्ता सदियों पुराना है, लेकिन ओली ने इसे तनाव की आग में झोंक दिया. साल 2020 में उनकी सरकार ने एक नया नक्शा जारी किया, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा जैसे इलाकों को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया. भारत ने इसका कड़ा विरोध किया, और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया. इस फैसले का असर नेपाल की जनता पर पड़ा. भारत से आने वाली जरूरी चीजें जैसे ईंधन, दवाइयां और खाने-पीने का सामान कम होने लगा. जनता में गुस्सा बढ़ा और ओली पर सवाल उठे कि आखिर ये राष्ट्रवाद का ढोंग क्यों? कई लोग मानते हैं कि ये कदम चीन को खुश करने के लिए उठाया गया था.

चीन से दोस्ती

चीन के साथ बढ़ती नजदीकियां ओली के लिए गले की हड्डी बन गई हैं. नेपाल ने 2018 में चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में हिस्सा लिया और कई बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी. लेकिन ये प्रोजेक्ट्स कर्ज के पहाड़ पर टिके हैं. नेपाल की अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर है और अब ये कर्ज उसे और गहरे गड्ढे में धकेल रहा है. स्थानीय लोग इन प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता की कमी और पर्यावरण को नुकसान की शिकायत कर रहे हैं. विपक्ष ने ओली को ‘चीन का एजेंट’ तक कह डाला. ऊपर से, जब 2025 में बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं ने नेपाल को हिलाया, तो चीन की मदद नाकाम रही. इस स्थिति में भी भारत ने जमकर साथ दिया.

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हिंदू राष्ट्र की मांग को ठुकराना

नेपाल कभी हिंदू राष्ट्र हुआ करता था. यहां करीब 80 फीसदी लोग हिंदू हैं. 2008 में धर्मनिरपेक्षता लागू होने के बाद से ही हिंदू राष्ट्र की मांग फिर से जोर पकड़ रही है. लेकिन ओली ने इस मांग को बार-बार अनसुना किया. राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) जैसे संगठनों ने इसके लिए बड़े-बड़े आंदोलन किए और लाखों लोग सड़कों पर उतरे. ओली को ‘हिंदू विरोधी’ कहकर बदनाम किया गया, जिससे उनकी पारंपरिक वोटरों की ताकत कमजोर हुई. 2024 के स्थानीय चुनावों में उनकी पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (UML) को बड़ा झटका लगा. अगर ये मुद्दा और भड़का, तो ओली की सरकार खतरे में पड़ सकती है.

भ्रष्टाचार और तानाशाही

ओली सरकार पर भ्रष्टाचार और तानाशाही के गंभीर आरोप हैं. टेलीकॉम घोटाला, लैंड स्कैम, पोखरा एयरपोर्ट घोटाला और वीजा घोटाला…. ये कुछ ऐसे मामले हैं जिन्होंने ओली की साख को दागदार किया. जनता रोजगार, विकास और आर्थिक आजादी चाहती है, लेकिन सरकार भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी है. इसके अलावा, ओली ने 2021 में संसद भंग करने का विवादित फैसला लिया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. न्यायपालिका और चुनाव आयोग पर दबाव डालने के आरोपों ने उनकी छवि को और नुकसान पहुंचाया. सोशल मीडिया पर लोग उन्हें ‘तानाशाह’ कहने लगे, और उनकी अपनी पार्टी में भी बगावत के सुर उठने लगे.

अब क्या?

नेपाल की सड़कों पर Gen-Z का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा. 20 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों की मौत और सैकड़ों घायल होने के बाद भी आंदोलन और तेज हो रहा है. सरकार ने सेना बुला ली है, लेकिन सवाल ये है कि क्या दमन से ये क्रांति रुकेगी? युवा भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और आजादी पर पाबंदी के खिलाफ एकजुट हो चुके हैं. ओली के लिए ये पांच गलतियां अब भारी पड़ रही हैं और उनकी कुर्सी खतरे में दिख रही है. क्या ओली इस तूफान को रोक पाएंगे, या नेपाल में एक नया इतिहास लिखा जाएगा?

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