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सऊदी में ग्रैंड मुफ्ती का क्या काम? जानिए दुनिया में इस पद की क्यों हो रही है चर्चा

Saudi Arabia Grand Mufti

ग्रैंड मुफ्ती शेख सालेह बिन फौजान

Saudi Arabia Grand Mufti: सऊदी अरब में हाल ही में एक बड़ी धार्मिक नियुक्ति ने सुर्खियां बटोरी हैं. शेख सालेह अल-फौजान को देश का नया ग्रैंड मुफ्ती बनाया गया है. इसकी घोषणा सऊदी अरब के राजा सलमान के शाही फरमान से हुई है. दरअसल, पूर्व ग्रैंड मुफ्ती अब्दुलअजीज अल-शेख के सितंबर 2025 में निधन के बाद यह पद खाली हो गया था. अब इस नियुक्ति की वैश्विक इस्लामी समुदाय में भी गूंज सुनाई दे रही है. आइए जानते हैं कि ग्रैंड मुफ्ती का पद क्या है, इसकी जिम्मेदारियां क्या हैं और इसकी परंपरा कैसे शुरू हुई.

सऊदी अरब का धार्मिक सिरमौर होता है ग्रैंड मुफ्ती

ग्रैंड मुफ्ती सऊदी अरब का सबसे बड़ा धार्मिक नेता होता है. यह वह शख्स है जो इस्लाम के शरिया कानूनों की व्याख्या करता है, फतवे जारी करता है और सरकार को धार्मिक मामलों में सलाह देता है. मक्का और मदीना जैसे पवित्र शहरों के देश में यह पद बेहद सम्मानजनक और प्रभावशाली है. ग्रैंड मुफ्ती न केवल धार्मिक मामलों में मार्गदर्शन देता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक नीतियों को भी प्रभावित करता है. उदाहरण के लिए, अगर कोई यह पूछे कि क्या कोई नया खेल आयोजन इस्लाम के हिसाब से सही है, तो ग्रैंड मुफ्ती इसका जवाब देता है. उनके फतवे कोर्ट के फैसलों से लेकर सरकारी नीतियों तक को दिशा दे सकते हैं. यह पद सऊदी अरब की धार्मिक और राजनीतिक व्यवस्था के बीच एक सेतु की तरह काम करता है.

ग्रैंड मुफ्ती की प्रमुख जिम्मेदारियां

ग्रैंड मुफ्ती का काम सिर्फ फतवे देने तक सीमित नहीं है. उनके कंधों पर कई बड़ी जिम्मेदारियां होती हैं.

धार्मिक फैसले देना: व्यक्तिगत जीवन से लेकर सामाजिक और सरकारी नीतियों तक, हर तरह के सवालों पर फतवे जारी करना. ये फतवे कानूनी और सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करते हैं.

संस्थाओं का नेतृत्व: ग्रैंड मुफ्ती वरिष्ठ विद्वानों की परिषद और इस्लामिक रिसर्च व फतवा समिति का प्रमुख होता है. ये संस्थाएं धार्मिक नीतियों को आकार देती हैं.

सरकारी सलाहकार: हज, तीर्थयात्रा और अन्य धार्मिक मामलों में सरकार को सलाह देना.

शिक्षा और समाज में प्रभाव: धार्मिक स्कूलों के पाठ्यक्रम और सामाजिक मुद्दों पर आधिकारिक राय देना, जैसे मनोरंजन या सांस्कृतिक आयोजनों पर.

सार्वजनिक मार्गदर्शन: समाज में नैतिक और धार्मिक व्यवहार को प्रोत्साहित करना.

कोई चुनाव नहीं, सिर्फ शाही फरमान

सऊदी अरब में ग्रैंड मुफ्ती का चयन कोई लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं है. यह पूरी तरह राजा के शाही फरमान पर निर्भर करता है. आमतौर पर क्राउन प्रिंस की सिफारिश इस नियुक्ति में अहम भूमिका निभाती है. शेख सालेह की नियुक्ति भी राजा सलमान ने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की सलाह पर की. इस पद का कोई निश्चित कार्यकाल नहीं होता, यह अक्सर आजीवन होता है, जब तक कि मुफ्ती खुद पद न छोड़े या राजा नया फरमान जारी न करे.

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ग्रैंड मुफ्ती की परंपरा

यह परंपरा 1953 में शुरू हुई, जब सऊदी अरब के संस्थापक राजा अब्दुलअजीज ने इस पद को औपचारिक रूप दिया. पहले ग्रैंड मुफ्ती शेख मुहम्मद इब्न इब्राहिम अल-शेख थे. उस समय यह कदम धार्मिक नेतृत्व को संगठित करने और आधुनिक सऊदी राज्य की नींव को मजबूत करने के लिए उठाया गया था. हालांकि, 1969 में राजा फैसल ने इस पद को अस्थायी रूप से खत्म कर दिया और इसे न्याय मंत्रालय में मिला दिया. 1993 में यह पद फिर से बहाल हुआ, जब शेख अब्दुलअजीज बिन बाज को नियुक्त किया गया. यह पद समय के साथ बदलते सऊदी समाज और वहाबी विचारधारा के बीच संतुलन बनाता रहा है. कई बार यह रूढ़िवादी रुख के लिए जाना गया, तो कई बार आधुनिक सुधारों के लिए भी.

शेख सालेह बिन फौजान कौन हैं?

शेख सालेह बिन फौजान एक जाने-माने धार्मिक विद्वान हैं, जो लंबे समय से सऊदी अरब की वरिष्ठ विद्वानों की परिषद और फतवा समिति में सक्रिय रहे हैं. वे रेडियो और टीवी पर धार्मिक कार्यक्रमों के जरिए भी लोगों तक पहुंचे हैं. उनकी विचारधारा को परंपरावादी माना जाता है, और कुछ मौकों पर उनके विचारों को लेकर विवाद भी हुए हैं.

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