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चीन की किस चाल से भड़क गए ट्रंप… लगा डाला 100 फीसदी टैरिफ, क्या फिर छिड़ेगा ट्रेड वॉर?

US-China Trade War

चीन-अमेरिका में ठन गई!

US-China Trade War: अमेरिका और चीन के बीच फिर से जंग छिड़ गई है और इस बार मामला सिर्फ व्यापार का नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे कीमती धातुओं का है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 100% टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है, यानी चीनी सामान अब अमेरिका में डेढ़ गुना महंगा हो जाएगा. लेकिन ये आग कैसे भड़की? ये कहानी है रेयर अर्थ मिनरल्स की, जो स्मार्टफोन से लेकर जंगी जहाज तक हर चीज में जान डालते हैं. आइए, पूरा मामला विस्तार से समझते हैं.

चीन की चाल से ट्रंप का माथा ठनका

चीन ने हाल ही में अपने ‘रेयर अर्थ मिनरल्स’ पर नकेल कस दी. ये वो खास खनिज हैं, जिनके बिना आपका फोन, इलेक्ट्रिक कार या सेना के रडार काम नहीं करेंगे. दुनिया का 80% से ज्यादा रेयर अर्थ चीन से आता है और उसने अब इनके निर्यात पर सख्त नियम ला दिए. 9-10 अक्टूबर 2025 को चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने ऐलान किया कि 12 रेयर अर्थ तत्वों, जैसे नियोडिमियम, यूरोपियम और इनसे बनी चिप्स, मैग्नेट को अब बिना ‘स्पेशल परमिशन’ के बाहर नहीं भेजा जाएगा.

यही नहीं, चीन ने भारत जैसे देशों से कहा, “हमारे रेयर अर्थ को अमेरिका मत भेजना.” चीन का कहना है कि ये कदम पर्यावरण और उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है. लेकिन ट्रंप को ये बात हजम नहीं हुई. उन्होंने इसे चीन की ‘धोखेबाजी’ करार दिया और गुस्से में आगबबूला हो गए. ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “चीन ने हमें धोखा दिया, अब हम जवाब देंगे.” बस फिर क्या, ट्रंप ने 10 अक्टूबर को ऐलान कर दिया कि 1 नवंबर 2025 से हर चीनी सामान पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगेगा. पहले से 30% टैरिफ था, अब कुल 130%.

रेयर अर्थ क्या है, क्यों है इतना कीमती?

रेयर अर्थ कोई सुपरहीरो का नाम नहीं है. ये 17 खास धातुएं हैं, जैसे लैंथेनम, नियोडिमियम, और यूरोपियम. ये छोटी-छोटी चीजें बड़ा कमाल करती हैं. स्मार्टफोन और लैपटॉप के चिप्स और स्क्रीन में रेयर अर्थ चाहिए. टेस्ला जैसी गाड़ियों की बैटरी में ये जरूरी हैं. अमेरिका का F-35 फाइटर जेट बनाने में 417 किलो रेयर अर्थ लगता है. विंड टरबाइन और सोलर पैनल भी इनके बिना अधूरे हैं.

चीन इनका ‘बादशाह’ है, और उसने इसे हथियार की तरह इस्तेमाल किया. ट्रंप को ये ‘चाल’ इतनी चुभी कि उन्होंने साउथ कोरिया में होने वाली APEC समिट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात तक रद्द कर दी. ट्रंप ने कहा, “अब मिलने का कोई मतलब नहीं.”

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असली खेल क्या है?

ट्रंप पहले भी चीन से नाराज रहे हैं. 2018-2020 में भी ट्रेड वॉर छिड़ा था, जब ट्रंप ने चीनी सामान पर 25% तक टैरिफ लगाया था. इस बार जून 2025 में रेयर अर्थ पर सहमति टूटी और ट्रंप को नोबेल प्राइज न मिलने का गुस्सा भी शायद इसमें जुड़ गया. वो चाहते हैं कि अमेरिका की फैक्ट्रियां फिर से गुलजार हों और 20 लाख नौकरियां बचे.

चीन को अमेरिका की टैरिफ की धमकी पसंद नहीं. उसने रेयर अर्थ को ‘ट्रंप कार्ड’ बनाया, ताकि अमेरिका दबाव में आए. चीन को भी अपने निर्यात बाजार की चिंता है, लेकिन वो झुकने को तैयार नहीं.

अमेरिका की तलाश

ट्रंप ने कहा, “हमारे पास भी रेयर अर्थ है.” लेकिन हकीकत में अमेरिका ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, और अफ्रीका की खदानों पर निर्भर है. इनका उत्पादन बढ़ने में 3-5 साल लगेंगे. भारत रेयर अर्थ का बड़ा खरीदार है और अब तटस्थ आपूर्तिकर्ता बन सकता है. लेकिन चीन का दबाव उसे भी परेशान कर सकता है. अगर दोनों देश नहीं माने, तो सामान और महंगा होगा. अमेरिका में चीनी सामान की कीमतें बढ़ेंगी, और चीन को निर्यात का नुकसान होगा.

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