Christmas 2024: छत्तीसगढ़ में यहां अंग्रेजों ने की थी ‘मेनोनाइट चर्च’ की स्थापना, 100 साल बाद भी ताजा हैं यादें

Christmas 2024: छत्तीसगढ़ के कोरबा शहर के मिशन रोड में मौजूद मेनोनाइट चर्च क्रिश्चियन समाज के लिए बेहद खास है. इसकी स्थापना यूएसए से आकर अंग्रेजों ने की थी.
Christmas 2024

‘मेनोनाइट चर्च’

– अभिषेक पांडेय

Christmas 2024: छत्तीसगढ़ के कोरबा शहर के मिशन रोड में मौजूद मेनोनाइट चर्च क्रिश्चियन समाज के लिए बेहद खास है. इसकी स्थापना यूएसए से आकर अंग्रेजों ने की थी.

अंग्रेजों ने की थी ‘मेनोनाइट चर्च’ की स्थापना

बताया जाता है कि तब अंग्रेज पहले जलमार्ग से बॉम्बे आये फिर हाथी की सवारी कर जांजगीर से कोरबा तक आए थे. यहां के वनवासियों की स्थिति देखी और क्षेत्र के विकास के लिए यहां न सिर्फ चर्च की स्थापना की, बल्कि स्कूल और अस्पताल भी बनाए.

100 साल बाद भी ताजा हैं यादें

मसीह समाज के लोग चर्च की स्थापना के 100 साल बाद भी उन्हें याद करते हैं. इस बार के क्रिसमस में भी चर्च को खास तौर पर सजाया गया है. इस साल भी क्रिसमस के लिए खास तैयारी की गई है. मसीही समाज के लोग धूमधाम से क्रिसमस का त्यौहार मनाने की तैयारी कर रहे हैं.

मेनोनाइट चर्च से जुड़े लोग बताते हैं कि सन् 1900 की शुरूआत में यूएसए के अंग्रेज करनेलियस एच सुकाऊ और उनकी पत्नी लूलू सुकाऊ यहां आए थे. जलमार्ग से बॉम्बे आने के बाद वह कुछ महानुभावों के साथ हाथी से कोरबा पहुंचे थे.

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चर्च से लोगों को मिला लाभ

तब की स्थिति के बारे में हमारे पूर्वज हमें बताते हैं कि लोग घर से बाहर सिर्फ दिन में बाहर निकलते थे, क्योंकि उन्हें जानवरों का खतरा होता था. तब कोरबा नगर कोरबा कोरबाडीह के नाम से जाना जाता था और यहां काफी पिछड़ापन था. प्रभु की दया और मानव सेवा का संकल्प-लेकर अंग्रेज यहां पहुंचे थे. तब के अमेरिकन मिशनरियों ने अभूतपूर्व काम किया, मानव सेवा के क्षेत्र में कई रिकॉर्ड भी बनाए. मिशनरी स्कूल में पढ़े लिखे लोग उच्च पदों तक पहुंचे, उन्होंने क्षेत्र कायाकल्प कर दिया. अगर वह यहां नहीं आते तो हम आज यहां तक नहीं पहुंच पाते. खासतौर पर क्रिश्चियन समाज के लिए उनका योगदान अतुलनीय है. उन्होंने पूरी तन्मयता से मानव सेवा की. जिसके कारण ही हम न सिर्फ क्रिसमस पर बल्कि हर यादगार मौके पर उन्हें याद करते हैं. आज भी उनके द्वारा किया गया काम उनकी उपलब्धियां हमारे बीच मौजूद हैं.

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