Lok Sabha Election: 90 साल बाद चौधरी परिवार ने छोड़ी बागपत की सीट, कौन हैं राजकुमार सांगवान और चंदन चौहान जिन पर RLD ने जताया भरोसा
Lok Sabha Election 2024: देश में जल्द ही लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी ने ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 51 सीटों पर भी अपने उम्मीदवरों को मैदान में उतार दिया है. वहीं अब बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(NDA) में शामिल राष्ट्रीय लोक दल ने भी अपने 2 प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है. RLD ने बागपत से राजकुमार सांगवान और बिजनौर चंदन चौहान से दो नाम सामने कर दिए हैं. जैसे ही राजकुमार सांगवान का नाम बागबत से सामने आया तो राजनीतिक धुरंधरों को यकीन करना मुश्किल हो गया.
RLD के बैनर के तले नया चेहरा
दरअसल, भारत रत्न स्व. चौधरी चरण सिंह ने 90 साल पहले जिस सरजमीं से सियासी सफर की शुरूआत की. अब उस बागबत की सीट को उनके पौत्र जयंत सिंह ने राजकुमार सांगवान को सौंप दिया. इससे यह स्पष्ट है कि 47 साल से बागबत से चौधरी परिवार के सदस्य चुनाव लड़ते रहे. यह पहली बार था होगा कि RLD के बैनर के तले बागबत से चौधरी परिवार के अलावा कोई अन्य मैदान में होगा.
1977 में पहली बार लड़ा था चुनाव
बता दें कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह ने गुलाम भारत में 1935 से छपरौली से सियासी सफर की शुरूआत कर आजाद भारत में मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और फिर देश के प्रधानमंत्री तक बने. चरण सिंह 1935 से छपरौली से लगातार विधायक चुने गए. इसके बाद उन्होंने मुजफ्फरनगर से 1971 में लोकसभा का पहला चुनाव और हार गए. इसके बाद उन्होंने बागबत से 1977 में फिर से चुनाव लड़ा और कांग्रेस विरोधी लहर में बड़ी जीत दर्ज की.1980 में मध्यावधि चुनाव के साथ-साथ 1985 में एक बार फिर से अपने जीत का परचम लहराया.
चौधरी अजित सिंह 7 बार रहे सांसद
1987 में उनके निधन के बाद उनके पुत्र स्व. चौधरी अजित सिंह भी सात बार बागपत की पारपंरिक सीट से सांसद चुने गए. हालांकि वह 1998 में बीजेपी के सोमपाल शास्त्री और 2014 में डॉ. सत्यपाल सिंह से चुनाव हारे. इसके बाद 2019 में अजित सिंह के पुत्र बागबत से चुनाव लड़े और अजित सिंह खुद मुजफफरनगर से मैदान में उतरे. हालांकि वह दोनों ही चुनाव हार गए.
इतिहास विभाग के प्रोफेसर रहे हैं सांगवान
बता दें कि बागपत लोकसभा सीट से जयंत सिंह ने 61 वर्षीय डॉ. राजकुमार सांगवान के सिर पर विरासत की पगड़ी बांधी है. वह मेरठ के उपलेहडा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने एलएलबी के साथ हिस्ट्री से पीएचडी की है. अपने कॉलेज के दिनों में वह पश्चिमी यूपी के बड़े छात्र नेता भी रहे हैं. एक साल पहले ही वह मेरठ कॉलेज में इतिहास विभाग के प्रोफेसर पद से रिटायर्ड हुए हैं. बताते चलें कि वह अविवाहित हैं. वह अभी आरएलडी के राष्ट्रीय सचिव हैं. उन्हें चौधरी परिवार का सबसे भरोसेमंद माना जाता है. कई पार्टियों से ऑफर मिलने के बाद भी वह पार्टी के ही वफादार रहे.
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चंदन चौहान को विरासत में मिली है राजनीति
आरएलडी ने बिजनौर लोकसभा सीट से चंदन चौहान के नाम पर भरोसा जताया है. वह मूल रूप से कैराना के बींगडा गांव के रहने वाले हैं और गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. वर्तमान में वह आरएलडी के ही विधायक हैं. उनके पिता संजय चौहान बिजनौर लोकसभा सीट से RLD के सांसद भी रहें हैं. उनके दादा बाबू नारायण सिंह यूपी के डिप्टी सीएम का पद भी संभाल चुके हैं.बता दें कि चंदन युवा आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने एलएलबी तक की पढ़ाई की है और उनके परिवार में पत्नी यशिका चौहान हैं और एक बेटा शाहिर और बेटी नारायणी हैं.