Hathras Stampede: कौन हैं भोले बाबा? जिनके सत्संग में मची भगदड़ ने ले ली 120 से अधिक जानें
Hathras Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले स्थित फुलरई गांव में एक धार्मिक समागम में मची भगदड़ में 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए हैं. नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के समापन पर यह हादसा हुआ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगदड़ की सूचना मिलते ही अधिकारियों को दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर राहत कार्य करने के निर्देश दिए हैं. जानिए आखिर कौन हैं भोले बाबा…
नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले में हुआ था. पटियाली तहसील में गांव बहादुर में जन्मे भोले बाबा खुद को गुप्तचर यानी इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) का पूर्व कर्मचारी बताते हैं. दावा है कि 26 साल पहले बाबा सरकारी नौकरी छोड़ धार्मिक प्रवचन करने लगे. भोले बाबा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में लाखों अनुयायी हैं.
बाबा को कोई सोशल मीडिया अकाउंट नहीं
खास बात यह है कि इंटरनेट के जमाने में अन्य साधु सतों और कथावाचकों से इतर सोशल मीडिया से दूर हैं. बाबा का कोई आधिकारिक अकाउंट किसी भी प्लेटफॉर्म पर नहीं है. कथित भक्तों का दावा है कि नारायण साकार हरि यानी भोले बाबा के जमीनी स्तर पर खासे अनुयायी हैं. पश्चिमी यूपी के अलीगढ़, हाथरस जिलों में भी नारायण साकार हरि का कार्यक्रम हर मंगलवार को आयोजित किया जाता है.
इसमें हजारों की तादाद में भीड़ उमड़ती है. इस दौरान भोले बाबा से जुड़े हजारों स्वयंसेवक और स्वयंसेविकाएं खाने पीने से लेकर भक्तों के लिए जरूरी इंतजाम करते हैं. कोरोनकाल के दौरान प्रतिबंध के बावजूद भी भोले बाबा हजारों की भीड़ इकट्ठा करके चर्चा में आए थे.
इंटेलीजेंस विभाग में कर चुके हैं काम
जानकारी के अनुसार, नारायण साकार हरि एटा जिले बहादुर नगरी गांव के रहने वाले हैं. अध्यात्म की दुनिया में आने से पहले वह गुप्तचर विभाग में थे. नारायण साकार अपनी पत्नी के साथ सत्संग करते हैं. नारायण साकार आध्यात्मिक दुनिया में आने से पहले सूरजपाल हुआ करते थे. संत बनने के बाद उन्होंने पटियाली गांव में ही अपना भव्य आश्रम बना लिया.इनके सत्संग को ‘मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम’ कहा जाता है.
आधुनिक संत हैं नारायण सरकार
नारायण सरकार एकदम आधुनिक संत हैं. वे सफेद सूट-बूट पहकर आंखों पर रंगीन चश्मा लगाकर प्रवचन देते हैं. नारायण साकार हरि खुद को भगवान साकार हरि का शिष्य मानते हैं. वे अपने प्रवचन में खुद को ब्रहमांड के स्वामी हैं. ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने भी साकार हरि को ही गुरु माना है.