Chhattisgarh: विश्व अंगदान दिवस पर रायपुर में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर महिला के अंगों को किया गया दान

Chhattisgarh News: आज विश्व अंगदान दिवस है. आज पूरे विश्व में अंगदान दिवस मनाया जा रहा है. इसलिए हम आपको आज विश्व अंगदान दिवस के अवसर पर एक प्रेरित करने वाली कहानी राजधानी रायपुर की बताने जा रहे हैं.
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महिला का किया गया अंगदान

Chhattisgarh News: आज विश्व अंगदान दिवस है. आज पूरे विश्व में अंगदान दिवस मनाया जा रहा है. इसलिए हम आपको आज विश्व अंगदान दिवस के अवसर पर एक प्रेरित करने वाली कहानी राजधानी रायपुर की बताने जा रहे हैं. जहां एक मृत महिला के अंग को दान करके कई जिंदगीयों को बचाया गया. ग्रीन कॉरिडोर बनाकर महिला के अंगों का दान किया गया.

ग्रीन कॉरिडोर बनाकर महिला के अंगों का किया गया दान

दरअसल तीन दिन पहले मूल रूप से राजनांदगांव की रहने वाली 54 वर्षीय महिला मुन्नी गोसाई का बीपी बढ़ने की वजह से ब्रेन हेमरेज हुआ, जिसके बाद महिला को इलाज के लिए गंडई अस्पताल में ले जाया गया. गंडई अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं होने की वजह से राजधानी के रामकृष्ण अस्पताल लाया गया. अस्पताल में भर्ती होने के बाद महिला के ब्रेन को डेड घोषित कर दिया है. यानी की महिला की मौत हो गई. महिला की मौत हो जाने के बाद परिवार वालों ने अंगदान करने का फैसला लिया. यह फैसला बहुत बड़ा था. इसके बाद मृत महिला के अलग-अलग अंगों को डोनेट कर दिया गया. इसमें विशेष तौर पर महिला के लंग्स को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एयर एंबुलेंस के माध्यम से रायपुर से पुणे भेजा गया. बता दें कि रायपुर से डॉक्टर की एक टीम मृत महिला के लंग्स को आइस बॉक्स में रखकर दूसरे शरीर में फिट करने के लिए पुणे के डी वाई अस्पताल पहुंचे जहां 45 वर्षीय एक महिला में इस लंग्स को फिट किया गया. विस्तार न्यूज़ ने अस्पताल से लेकर एयरपोर्ट तक बने 15 किलोमीटर के ग्रीन कॉरिडोर का सफर तय किया ताकि आपको दिखाया जा सके कि किस तरीके से एक मृत शरीर के अंग को सुरक्षित ग्रीन कॉरिडोर बनाकर दूसरे शहर भेजा गया.

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अलग-अलग जगहों पर डोनेट किया गया अंग

मृत महिला के लंग्स को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पुणे भेजा गया, लेकिन इस महिला का सिर्फ लंग्स ही डोनेट नहीं हुआ बल्कि महिला के दोनों किडनी को भी डोनेट किया गया. दोनों किडनी में से एक किडनी रायपुर एम्स को डोनेट किया गया जिसमें एक 30 वर्षीय युवक को किडनी लगाया गया, तो दूसरा किडनी रामकृष्ण अस्पताल को ही डोनेट हुआ. वहीं महिला के लीवर को भी डोनेट किया गया. इसमें रामकृष्ण हॉस्पिटल में लिवर की समस्या से जूझ रहे एक 12 साल के बच्चे में महिला के लिवर को फिट किया गया. 12 साल का बच्चा जो काफी दिनों से लीवर के समस्या से ग्रसित था. उसे अपनी जिंदगी के लिए एक नए लीवर की तलाश थी. लीवर मिलने के बाद उसे अब नया जीवन मिल गया. महिला के दोनों आंखों को भी डोनेट किया गया. आंख को मेकाहारा अस्पताल में दिया गया. सबसे जरूरी बात बता दें कि परिवार वालों ने इन सभी अंगों को नि:शुल्क डोनेट कर मिसाल पेश कर दिया है. महिला के अंगदान होने की प्रक्रिया इतना आसान नहीं था.

परिवार की सहमति से किया गया अंगदान

इस पूरे अंगदान में शामिल डॉक्टर अजीत सिंह का कहना है कि बहुत ही अच्छा परिवार था, जिन्होंने अंगदान की सहमति दी. उसके बाद उनके अंगों का इस्तेमाल किया गया. दोनों किडनी. लीवर और दोनों लंग्स को निकाल कर इस्तेमाल किया गया. लीवर का इस्तेमाल एक 12 साल के बच्चे में लगाया गया. 12 साल का बच्चा जो काफी दिनों से लीवर के समस्या से ग्रसित था. उसे अपनी जिंदगी के लिए एक नए लीवर की तलाश थी लीवर मिलने के बाद उसे अब नया जीवन मिला है. लंग्स को पुणे भेजा गया. डॉ अजीत का कहना है कि हर अंग का एक टाइम होता है जिसके अंदर उसे वापस लगाना पड़ता है, जैसे लिवर है उसे 8 घंटे के अंदर लगाना होता है. लंग्स को भी लगभग 8 घंटे के अंदर लगाना होता है. इसमें टाइम बहुत क्रिटिकल होता है. इस पूरे प्रक्रिया में टाइम वेस्ट नहीं होना चाहिए जिसकी वजह से ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण किया जाता है. अंग को लगभग 4 डिग्री से नीचे टेंपरेचर में रखकर पुणे भेजा गया.

मौत से पहले महिला ने जताई थी अंगदान की इच्छा

वहीं अंगदान करने वाले मुन्नी गोसाई के बेटे प्रकाश गोसाई ने कहा कि मम्मी का पहले से इच्छा था कि उनकी मृत्यु होने के बाद उनके अंग डोनेट किया जाए. उनकी मां का कहना था कि अंग डोनेट करके लोगों की जान बचाया जाए. इसलिए हम पूरे परिवार वालों ने मिलकर अंगदान करने का निर्णय लिया. परिवार चाहता है कि अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता आए.

वही इस पूरे अंगदान के प्रक्रिया में पुलिस ने भी ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अहम भूमिका निभाई. रायपुर के ट्रैफिक ASP ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि जब भी डिमांड आती है ग्रीन कॉरिडोर की तो पुलिस की व्यवस्था लगाई जाती है. हमेशा से क्रिटिकल मरीजों के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाता रहा है. अभी तक हम गंभीर मरोजो की बचाने के लिए अभी तक व्यवस्था करते रहे. पहली बार सोमवार को अंग को विशेष तौर पर ग्रीन कॉरिडोर बनाकर रवाना किया गया.

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