Vistaar NEWS

‘नाबालिग को I LOVE YOU बोलना यौन उत्पीड़न नहीं…’, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का फैसला, आरोपी बरी

CG News

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

Bilaspur: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पाक्सो और SC/ST एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में आरोपित युवक को बरी कर दिया है. कोर्ट ने अभियोजन की कमजोर विवेचना पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि घटना में न तो यौन उद्देश्य प्रमाणित हुआ और न ही पीड़िता की उम्र साबित करने पर्याप्त साक्ष्य पेश किए गए. जस्टिस संजय एस. अग्रवाल की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और राज्य शासन की अपील खारिज कर दी.

कोर्ट की टिप्पणी

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपित द्वारा ‘आई लव यू’ कहने की एकमात्र घटना को यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, जब तक कि यौन उद्देश्य स्पष्ट न हो. पीड़िता और उसकी सहेलियों की गवाही से यह साबित नहीं हुआ कि आरोपित का व्यवहार यौन इरादे से प्रेरित था. पीड़िता की उम्र को लेकर अभियोजन ने जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत तो किया, लेकिन उसकी प्रामाणिकता सिद्ध करने कोई गवाह कोर्ट में पेश नहीं किया. न ही स्कूल का रिकार्ड दाखिल किया गया. कोर्ट ने कहा कि यदि दस्तावेज को प्रमाणित नहीं किया जाता, तो नाबालिग होने का दावा स्वीकार नहीं किया जा सकता.

जरूरी है शारीरिक संपर्क या स्पष्ट यौन मंशा

हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा- ‘यौन उत्पीड़न के लिए सिर्फ टच या फिजिकल कान्टैक्ट ही नहीं, बल्कि उसमें यौन मंशा का होना आवश्यक है. आरोपित का कृत्य इस परिभाषा में नहीं आता.’

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में 2 दिन यात्रियों को होगी परेशानी, रायगढ़-बिलासपुर समेत इन जिलों के लिए 4 ट्रेनें रद्द

एससी/एसटी एक्ट में भी साक्ष्य नाकाफी

अभियोजन पक्ष ने यह भी आरोप लगाया था कि आरोपित ने पीड़िता की जाति को जानते हुए अपराध किया, लेकिन पीड़िता ने अपने बयान में यह नहीं बताया कि आरोपी को उसकी जाति की जानकारी थी या उसने इस आधार पर अपराध किया. कोर्ट ने कहा कि जब तक यह सिद्ध नहीं होता कि अपराध सिर्फ जाति के कारण किया गया, तब तक एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(2) (वीए) के तहत दोषसिद्धि नहीं की जा सकती.

Exit mobile version