CG News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 8वीं कक्षा की छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के दो दोषियों की सजा के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया है. हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु ने कहा कि निचली अदालत ने उपलब्ध साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर दोषसिद्धि का जो आदेश दिया है, वह पूरी तरह से न्यायोचित और सही है. विशेष न्यायाधीश (एफटीसी) ने दोनों आरोपित विपिन कुमार जांगड़े और सुनील कुर्रे को धारा 376-डी (सामूहिक दुष्कर्म) के तहत 20-20 साल सश्रम कारावास और 12-12 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी. साथ ही धारा 323/34 और 506(बी) में अतिरिक्त कारावास और अर्थदंड भी लगाया था. इसी सजा को चुनौती देते हुए दोनों आरोपितों ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी.
हाई कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों की याचिका की खारिज
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यौन अपराधों के मामलों में पीड़िता की गवाही का मूल्यांकन करते समय न्यायालय को अत्यंत संवेदनशील और सूक्ष्म दृष्टिकोण अपनाना होता है. घटना के दौरान हुए मानसिक आघात और परिस्थितियों के कारण बयान में संभावित विसंगतियां स्वाभाविक होती हैं. न्यायालय घटनाओं के सटीक विवरण पर नहीं, बल्कि गवाही में निहित सच्चाई और विश्वसनीयता पर ध्यान देता है.
जानें पूरा मामला
घटना 18 नवम्बर 2017 की है, जब पीड़िता अपने घर के आंगन में बने शौचालय में गई थी. उसी दौरान आरोपित विपिन और सुनील ने उसे पकड़कर मुंह पर रूमाल बांध दिया और पैरों को कपड़े से बांधकर पिटाई की. दोनों आरोपितों ने चाकू दिखाकर धमकाया और बारी-बारी से पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता के शोर मचाने पर भाई-बहन और पड़ोसी पहुंचे, तब आरोपित भाग गए। पीड़िता ने पुलिस चौकी जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई, जिस पर बिलासपुर के मस्तूरी थाने में एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू हुई.
