CG News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि कोई पत्नी बिना ठोस और पर्याप्त कारण के पति से अलग रहती है, तो वह भरण-पोषण भत्ता पाने की हकदार नहीं है. अदालत ने रायगढ़ की एक महिला की अपील को खारिज करते हुए पारिवारिक न्यायालय के फैसले को सही ठहराया.
गुजारा भत्ता पाने के लिए लगाई याचिका
दरअसल, रायगढ़ निवासी महिला ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उसे गुजारा भत्ता देने से इनकार किया गया था. महिला का कहना था कि पति और ससुरालवालों ने दहेज की मांग की और प्रताड़ित करने के बाद उसे मायके भेज दिया. वहीं पति ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि पत्नी अपनी इच्छा से अलग रह रही है और उसके पास ऐसा करने का कोई वैध कारण नहीं है.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की एकल पीठ ने कहा कि पत्नी के आरोपों का कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया. अदालत ने यह भी माना कि जब तक पत्नी यह साबित नहीं करती कि पति से अलग रहने का उसके पास उचित कारण है, तब तक वह भरण-पोषण भत्ता पाने की पात्र नहीं है. कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पत्नी की अपील को निरस्त कर दिया.
ये भी पढे़ं- बीजापुर नक्सली फंडिंग केस में NIA ने पेश की चार्जशीट, किए कई बड़े खुलासे
फैमली कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
रायगढ़ के फैमिली कोर्ट ने पहले ही 27 सितंबर 2021 को महिला की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उसके पास अलग रहने का कोई उचित कारण नहीं है. महिला ने इस मामले में पति पर घरेलू हिंसा के भी आरोप लगाए थे, लेकिन जेएमएफसी कोर्ट ने पति और उसके परिजनों को उस मामले में बरी कर दिया था. हालांकि, महिला ने उस फैसले के खिलाफ अपील दायर की है, जो अभी विचाराधीन है.
