Independence day: छत्तीसगढ़ के बस्तर में कई इलाके ऐसे थे, जहां पुलिस और प्रशासन की पहुंच नहीं थी. इन इलाकों में ‘लाल आतंक’ की सरकार का राज था. लेकिन इस बार बस्तर संभाग के कई गांवों में आजादी के बाद पहली बार तिरंगा फहराया गया.
बस्तर के 29 गांवों में आजादी के बाद पहली बार फहराया तिरंगा
बस्तर संभाग के सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिले के 29 ऐसे गांव हैं, जहां नक्सलवाद चरम पर था. यहां लोकतंत्र नहीं बल्कि नक्सलियों का गनतंत्र हावी था. सालभर के अंदर सुरक्षा बलों का कैंप खोला गया. फोर्स अंदरूनी इलाके में घुसी. नक्सलियों का एनकाउंटर कर उन्हें खदेड़ा गया. कैंप स्थापित होने के बाद आज पहली बार आजादी का जश्न मनाया गया.
सुकमा उसकेवाया और नुलकातोंग गांव में आजादी का जश्न
सुकमा जिले के उसकेवाया और नुलकातोंग गांव में पहली बार तिरंगा लहराया. वर्षों तक यहां नक्सलियों द्वारा 15 अगस्त और 26 जनवरी को ‘काला दिवस’ मनाया जाता था, स्कूलों और सरकारी भवनों पर झंडा फहराना तो दूर, लोग राष्ट्रीय पर्व पर घर से बाहर निकलने से भी कतराते थे. गोमपाड, नुलकातोंग, मरकाम पारा, दूरमा समेत दर्जनों गांवों में नक्सलियों की बैठके और ट्रेनिंग कराए जाते थे. बदलाव की शुरुआत तब हुई जब अप्रैल महीने में सुरक्षा बलों ने उसकेवाया और नुलकातोंग कैंप में कैंप स्थापित किए. धीरे-धीरे नक्सली दबाव घटा, गांवों में शांति का माहौल बनने लगा. अब सड़कों का निर्माण, पेयजल योजना, स्कूल भवन और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं.
नक्सली की राजधानी में फहराया तिरंगा
नारायणपुर में नक्सली की राजधानी कहा जाने वाले कुतुल शान से तिरंगा लहराया. कुतुल में नक्सलियों के द्वारा 15 अगस्त 26 जनवरी काला झंडा फहराया जाता था, लेकिन इस बार नारायणपुर में ITBP 41/53 बटालियन से मौजूद है. जहां ग्रामीण जो पहले नक्सलियों के काले झंडे में शामिल होते थे, वह अब तिरंगा को सलाम कर रहे हैं.
बीजापुर के 7 गांवों में मनाया गया आजादी का जश्न
बीजापुर के वो इलाके, जहां कभी माओवादियों की हुकूमत चलती थी. जहां राष्ट्रध्वज का अपमान होता था और राष्ट्रीय पर्व पर माओवादी अपना काला झंडा फहराते थे. इस बार नज़ारा बदला है। अकेले बीजापुर के 7 गांवों में पहली बार तिरंगा लहराया गया है.
