Pappu Yadav: अटकलें लगाई जा रही थी कि पूर्व सांसद और जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के चीफ राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव लोकसभा चुनाव 2024 से पहले I.N.D.I.A ब्लॉक से हाथ मिला सकते हैं. लेकिन पप्पू यादव ने न सिर्फ ‘इंडी ब्लॉक’ से हाथ मिलाया, बल्कि पार्टी के साथ-साथ खुद ही कांग्रेस में मिल गए हैं. जी हां.. कुछ ऐसा ही बिहार में हुआ है. पप्पू यादव की पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय हो गया है. अब बिहार की राजनीति में जाप नाम की कोई पार्टी नहीं बची है.
बीती रात गए पप्पू यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू यादव और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी से मुलाकात की थी. खबरों के मुताबिक, पप्पू ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर लालू और तेजस्वी से चर्चा की और आगे की रणनीति बनाई. पप्पू यादव का लक्ष्य पूर्णिया से चुनाव लड़ने का है और वह लगातार इस सीट पर अपना दावा जता रहे हैं.
पटना में लालू प्रसाद यादव से मुलाकात के बाद पप्पू यादव ने कहा, “लालू यादव और मेरे बीच कोई राजनीतिक रिश्ता नहीं है, ये पूरी तरह से भावनात्मक रिश्ता है. कल हम सभी एक साथ बैठे थे. हमारी कोशिश सीमांचल और मिथिलांचल में किसी भी कीमत पर बीजेपी को रोकने की है.” तेजस्वी यादव ने 17 महीने काम किया और जनता में विश्वास बनाया, राहुल गांधी ने दिल जीता और लोगों को उम्मीद दी… साथ मिलकर, हम न केवल 2024 लोकसभा चुनाव बल्कि 2025 बिहार विधानसभा चुनाव भी जीतेंगे. पूर्णिया मायने नहीं रखता, मायने रखता है भाजपा को रोकना और कमजोर वर्गों की पहचान और विचारधारा की रक्षा करना. हम कांग्रेस नेतृत्व के साथ मिलकर लड़ेंगे. जिसने इस देश का दिल जीता वही देश का पीएम बनेगा.”
कौन हैं पप्पू यादव?
कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के दौरान आम लोगों की मदद करते, कभी बारिश के पानी में डूबते पटना में लोगों के घरों तक राशन पहुंचाते…बाढ़ से ग्रसित बिहार में आमजन तक सहायता पहुंचाने खुद ही पानी में उतर जाना… इंटरनेट पर राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की ऐसी अनगिनत तस्वीरें हैं. पप्पू यादव ने हाल के सालों में लोगों की मदद करते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाई है. लेकिन यह पप्पू यादव का अधूरा सच है. मजबूत राजनीतिक प्रभाव और सालों से विभिन्न विवादों में शामिल रहने के कारण उन्हें अक्सर ‘बिहार का बाहुबली’ कहा जाता है. पांच बार सांसद रहे पप्पू यादव का बिहार की राजनीति में अलग प्रभाव है.
समाज सेवा की वजह से वह चुनावी राजनीति में आने से पहले ही पप्पू यादव काफी चर्चित हो चुके थे. चूंकि जमीदार परिवार में पैदा हुए थे, इसलिए मनबढ़ भी थे. शिक्षा पूरी होने के बाद उनकी शादी रंजीत रंजन के साथ हुई और फिर वह दोनों राजनीति में आ गए. पप्पू यादव ने खुद अपनी राजनीतिक जमीन मधेपुरा को बनाई, वहीं पत्नी को सुपौल से सांसद बनवाया. उनका एक बेटा सार्थक रंजन है, जो टी-20 में दिल्ली टीम का खिलाड़ी है.
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कम उम्र में शुरू की राजनीतिक यात्रा
पप्पू यादव ने बेहद कम उम्र से ही राजनीतिक यात्रा शुरू कर दी थी. उनका परिवार भी राजनीति में सक्रिय रहा है. 1980 के दशक में पप्पू यादव राजनीति में आये और जनता दल से जुड़े. लेकिन साल 1990 में जनता दल ने उन्हें विधानसभा का टिकट नहीं दिया. पप्पू यादव ने तब मधेपुरा की सिंहेश्वर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान फतह करने उतर गए. इस चुनाव में उन्हें बंपर जीत मिली. इसके बाद अगले ही साल लोकसभा चुनाव होना था. उन्होंने भी अब बिहार से दिल्ली की यात्रा करने की ठानी थी. इस बार वो पूर्णिया से चुनावी समर में उतरे. यहां भी उन्हें जीत मिली. हालांकि, चुनाव में धांधली के आरोपों के कारण चुनाव को रद्द कर दिया गया. इन वर्षों में, पप्पू कई राजनीतिक दलों से जुड़े रहे हैं. वह जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), और जनता दल (यूनाइटेड) के सदस्य रहे हैं. उन्होंने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी, जन अधिकार पार्टी (JAP) भी बनाई. लेकिन अब उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया है.
जब पप्पू थे लालू के करीबी
एक समय में पप्पू यादव को लालू यादव का सबसे करीबी माना जाता था. ऐसी भी अटकलें थीं कि वह लालू यादव के राजनीतिक उत्तराधिकारी बन सकते हैं. वह दो बार लालू यादव की पार्टी से सांसद चुने गए, लेकिन उसी राजद ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया. पप्पू यादव अपने पूरे राजनीतिक करियर में कई विवादों में रहे हैं. उन पर हत्या और अपहरण समेत आपराधिक गतिविधियों के आरोप लगे हैं. उन पर चुनाव को प्रभावित करने के लिए बाहुबल का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया गया है.
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1990 का दौर पप्पू यादव के लिए खास
1990 का दौर पप्पू यादव के लिए बहुत खास था. पप्पू यादव का भय सीमांचल में इस कदर था कि लोग उनका नाम लेने से भी डरते थे. 17 साल जेल में बिताने वाले पप्पू यादव की पहचान बाहुबली नेता के रूप में हुई. उन पर हत्या, किडनैपिंग, मारपीट, बूथ कैपचरिंग, आर्म्स एक्ट जैसे कई मामले अलग-अलग थानों में दर्ज हुए हैं लेकिन पप्पू यादव को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अजीत सरकार की हत्या के मामले में 17 साल जेल में रहना पड़ा था.
साल 1998 में पप्पू यादव पर सीपीआईएम नेता अजीत सरकार की हत्या का आरोप लगाया गया था. इस केस में साल 1999 में उनकी गिरफ्तारी भी हुई.बेउर जेल में रहने के दौरान, पप्पू यादव के पक्षपात की अफवाह सामने आईं, जिसके कारण उन्हें तिहाड़ जेल में ट्रांसफर कर दिया गया. इसके बाद फरवरी 2008 में एक विशेष सीबीआई अदालत ने पप्पू यादव और दो अन्य को सीपीआईएम नेता की हत्या के लिए दोषी ठहराया. हालांकि, मई 2013 में पटना हाईकोर्ट ने अपर्याप्त सबूत का हवाला देते हुए पप्पू यादव को जेल से रिहा करने का आदेश दिया.