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Bihar Lok Sabha Election 2024: इस बार नाराज हैं दशकों से नीतीश का साथ दे रहे कुशवाहा वोटर्स? NDA को बिहार में हो सकता है बड़ा नुकसान!

Nitish Kumar

नीतीश कुमार

Bihar Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के शोर के बीच पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार के उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र पहुंचे. यहां उन्होंने केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय के लिए एक भावुक अपील की. शाह ने कहा, “मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र गांधीनगर गुजरात में शायद उतना काम नहीं किया है जितना कि नित्यानंद राय ने उजियारपुर के लिए किया है. नित्यानंद मेरे दोस्त हैं, उनकी जीत भारी मतों के अंतर से होनी चाहिए.”

नित्यानंद राय और आलोक कुमार मेहता के बीच कड़ी टक्कर

उजियारपुर में 13 मई को मतदान हो रहा है. दो बार के सांसद नित्यानंद राय और पूर्व राज्य राष्ट्रीय जनता दल RJD के आलोक कुमार मेहता के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है.नित्यानंद के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका है, जबकि आलोक मेहता 2009 और 2014 में लगातार दो हार के बाद इस बार सफलता की राह तलाश रहे हैं.

हालांकि, इस बार के चुनाव में बिहार के सीएम नीतीश कुमार को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वह 7% लव-कुश वोटों पर अपनी पकड़ बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं. कुर्मी और कोइरी (कुशवाहा) समुदायों को लव-कुश कहा जाता है. बता दें कि बिहार में 1990 के दशक के मध्य से नीतीश ने राजद के मुस्लिम-यादव (M-Y) वोट बैंक का मुकाबला करने के लिए इस समाज का ठीक ढंग से पोषण किया है.

बिहार में 4.21 फीसदी कुशवाहा मतदाता

पिछले साल के जाति सर्वेक्षण के अनुसार, बिहार की आबादी का 4.21% कुशवाहा मतदाता हैं. उजियारपुर में सबसे अधिक ओबीसी कुशवाह मतदाता हैं. बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 15 पर 1.5 से 3 लाख के बीच कुशवाहा मतदाता हैं जो उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला कर सकते हैं. उजियारपुर, समस्तीपुर, काराकाट, औरंगाबाद, नवादा, नालंदा, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, खगड़िया, वाल्मिकी नगर, आरा, सीतामढी, पूर्णिया, जमुई और पटना साहिब में ठीक ठाक की संख्या में कुशवाहा मतदाता हैं.

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कुर्मी कुछ हद तक NDA के साथ

वहीं अगर कुर्मी वोट की बात करें तो राज्य में लगभग 3 फीसदी के करीब हैं. इस बार के चुनाव में कुछ हद तक NDA के पक्ष में बरकरार दिखता है. हालांकि, विपक्ष ने छह कुशवाहा उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर जदयू पर बढ़त बना ली है. राजद के कुशवाहा उम्मीदवार हैं नवादा में श्रवण कुशवाह, औरंगाबाद में अभय कुशवाहा और उजियारपुर में आलोक कुमार मेहता. वहीं पटना साहिब में कांग्रेस के अंशुल अविजित, काराकाट में सीपीआई (एमएल) के राजाराम सिंह; सीपीआई (एम) के खगड़िया उम्मीदवार संजय कुमार और पूर्वी चंपारण में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के उम्मीदवार राजेश कुशवाहा भी कुशवाहा जाति से ही हैं.  वहीं इसकी तुलना में नीतीश की पार्टी जदयू ने पूर्णिया में संतोष कुमार और वाल्मीकि नगर में सुनील कुमार के को मैदान में उतारा है.

क्या कह रहे हैं कुशवाहा वोटर?

नीतीश कुमार के बार-बार सत्ता बदलने के कारण कुशवाहा और कोइरी नाराज दिख रहे हैं. वहीं उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी तथा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेन्द्र कुशवाहा खुद को पूरे बिहार के कुशवाहा नेता के रूप में स्थापित करने में विफल रहे हैं.इसके अलावा महागठबंधन उम्मीदवारों ने भी उनके पास एक ऑप्शन छोड़ा है. राजद की नौकरियों की पिच और नीतीश की खराब छवि को भी कुछ लोग इसका कारण बता रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने सब्जी उगाने वाले संतोष की बातों को छापा है. संतोष कहते हैं, “हम लालटेन के मतदाता हैं… हमें नीतीश कुमार पसंद थे लेकिन अब वह खुद की छाया बन गए हैं. न तो सम्राट और न ही उपेन्द्र हमारे नेता बन सके.

हालांकि, सभी कुशवाह नाराजगी नहीं जता रहे हैं. विद्यापति नगर के कुशवाहा मोहल्ले में कुछ लोगों ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रहेंगे. बिहार जीविका के पंकज कुमार ने कहा, “जाति कारक इस चुनाव के प्रमुख विषयों में से एक होने के बावजूद अधिकांश युवा और महिलाएं अभी भी मोदी के साथ हैं.”

 

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