Bihar Politics: जहां देश में एक तरफ किसान आंदोलन, भारत जोड़ो न्याय यात्रा ने राजनीतिक हलचल तेज कर रखी है. वहीं दूसरी तरफ बिहार में रोजाना होती सियासी घटनाक्रम ने सबका ध्यान आकर्षित किया है. बिहार में कुछ ही दिनों पहले हुए सत्ता में फेरबदल के बाद आए दिन कुछ न कुछ राजनीतिक टिप्पणी सुनाई पड़ रही है. मौजूदा मामला नीतीश कुमार और इंडिया गठबंधन से जुड़ा है.
हमने दूसरा नाम दिया था : सीएम नीतीश
भारत रत्न और जननायक कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वो विपक्षी गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखे जाने के पक्ष में नहीं थे. उन्होंने कहा कि मैं कोई दूसरा नाम देना चाहता था, लेकिन वो लोग नाराज़ हो रहे थे.
गठबंधन से अलग होने के सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा कि हमने कोशिश की थी, हम तो नाम भी कुछ और देना चाहते थे. उनलोगों ने अपनी तरफ से कुछ और ही नाम दे दिया. पहले वो लोग नाराज़ हो रहे थे, लेकिन अब कुछ चल रहा है ? सब खत्म ही हो गया. हमने कोशिश भी बहुत की थी. मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हमारा काम तो बिहार के लिए काम करना है, और आगे करते रहेंगे.
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इंडिया गठबंधन के अगुवा थे नीतीश
बता दें कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू पहले इंडिया गठबंधन का हिस्सा थी. वहीं घटनाक्रम को याद करें तो नीतीश कुमार ने ही विपक्षी एकता को एकजुट करने की शुरुआती कोशिश की थी. लेकिन वक्त के साथ सीटों के बंटवारे की देरी से नाराज होते हुए नीतीश कुमार ने इंडिया गठबंधन से किनारा कर लिया.
सिर्फ नीतीश ही नहीं इंडिया गठबंधन से नाता तोड़ा. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, दिल्ली पंजाब में अरविंद केजरीवाल ने भी अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. यूपी में जयंत चौधरी ने भी सपा सुप्रीमो अखिलेश का साथ छोड़ दिया. इंडिया गठबंधन के अगुवा रहे नीतीश के जाते ही विपक्षी गठबंधन की गाड़ी को एक के बाद एक कई ठोकर लगे हैं.