Lok Sabha Election 2024: मुकेश सहनी (सन ऑफ मल्लाह) ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दावा किया है. विकासशील इंसान पार्टी के चीफ ने कहा है कि जल्द ही आम चुनाव लड़ने की घोषणा करूंगा. सहनी ने कहा कि हम काम कर चुके हैं और मन भी बना लिया है. जल्द ही बताऊंगा कि किस गठबंधन के साथ चुनाव लड़ेंगे. मुकेश सहनी ने दावा किया है कि वीआईपी उसके लिए भी जरूरी है जो 40 सीटें जीतना चाहते हैं और उसके लिए भी जरूरी है जो कांटे का मुकाबला करना चाहते हैं. वीआईपी ने बोचहा उपचुनाव में बता दिया था कि 30 हजार वोट और कुढ़नी में 25 हजार वोट लाकर बता दिया था कि बिहार में हम कितने सबल हैं.
हाथ में गंगाजल लेकर शपथ ले चुके हैं निषाद: मुकेश सहनी
मुकेश सहनी ने कहा कि करोड़ों निषादों ने हाथ में गंगाजल रखकर शपथ ले चुके हैं कि पार्टी के साथ जाएंगे. अब जो भी गठबंधन पार्टी के एजेंडे को स्वीकार कर लेगी हम उसके साथ जाएंगे.उन्होंने कहा कि ये जरूरी नहीं कि जो बाजार में दिखे वही बड़ा आदमी हो. यह पार्टी मेरे पिताजी ने नहीं बनाए हैं. मैंने खुद अपने दम पर पार्टी को यहां तक लाया.
बता दें कि बिहार में एनडीए गठबंधन के साथ सहनी जा सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, एनडीए ने सहनी को एक सीट का ऑफर दिया है. अब देखना ये होगा कि सहनी किस ओर जाते हैं. दूसरी ओर इंडी गठबंधन से भी वीआईपी सुप्रीमो सहनी की बात चल रही है. हालांकि,अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है. वीआईपी बिहार में करीब 14 फीसदी वोट का दावा करती रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन में सहनी की पार्टी ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा और 3 सीटों पर जीत हासिल की. बीजेपी ने सहनी को एमएलसी भी बनाया. बाद में मुकेश सहनी नीतीश सरकार में मंत्री भी बने. हालांकि, 2022 में वीआईपी के तीनों विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था. बाद में सभी बीजेपी में शामिल हो गए.
बेहद गरीब परिवार से आने वाले सहनी ने कड़ी मेहनत की और इवेंट मैनेजमेंट और हिंदी फिल्मों के लिए सेट डिजाइन करके बॉलीवुड में अपनी मजबूत छाप छोड़ी. उनके सेट डिज़ाइन ने देवदास और बजरंगी भाईजान जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों के माध्यम से लोकप्रियता हासिल की. आज, वह ‘मुकेश सिने वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड’ नामक एक कंपनी के मालिक हैं और अपने राजनीतिक सपनों को साकार करने के लिए उन्होंने इसे प्रबंधित करने के लिए अपने रिश्तेदारों को नियुक्त किया है.
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बिहार में 14 फीसदी निषादों की आबादी
जब नीतीश कुमार और कुशवाहा के बीच संबंधों में खटास आने लगी, तो सहनी को एनडीए के भीतर का खालीपन उनके लिए सबसे उपयुक्त लगा. बिहार की लगभग 14% आबादी निषादों की है, जबकि कुशवाह महज 6.4% हैं. सहनी चुनावों के दौरान जाति के मूल्य से अच्छी तरह वाकिफ हैं और पिछले कुछ वर्षों में निषाद नेता के रूप में उभरने में सफल रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों से सहनी ने निषाद समुदाय के लिए आरक्षण की मांग की है. चेतावनी दी है कि मांग पूरी नहीं होने पर वह और उनकी पार्टी चुनावी समीकरण बिगाड़ देगी.
निषाद प्रभावित लोकसभा सीट
मुकेश सहनी कहते आए हैं कि हमारा 14% प्रतिशत वोट किसी सरकार को तोड़ या बना सकता है. उन्होंने दावा किया, “उत्तर बिहार में हमारी मजबूत उपस्थिति है और हम कम से कम 15 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत बदल सकते हैं. सहनी के निषाद समुदाय को मोटे तौर पर मल्लाह और नोनिया में विभाजित किया जा सकता है, दोनों को बिंद, बेलदार, तियार, खुलवत, सुरहिया, गोढ़ी, वनपर और केवट सहित 23 उप-जातियों में विभाजित किया गया है. कुल मिलाकर यह समुदाय राज्य के कई निर्वाचन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मोतिहारी, बेगुसराय, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, वैशाली और मुंगेर जैसे निषादों के प्रभुत्व वाले जिलों में इसकी आबादी 8-17% के बीच है. एनडीए के एक सूत्र ने कहा कि सहनी को 1 लोकसभा सीट की पेशकश की गई है.